दिल्ली: वायु प्रदूषण से देश की राजधानी के साथ-साथ पूरा देश हलकान है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. केंद्र सरकार ने पराली की समस्या के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का फैसला किया है. दरअसल केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर दोगुनी कर दी है.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग संशोधन नियम- 2024 प्रभावी होंगे. केंद्र सरकार इसे लेकर एक नोटिफिकेशन जारी की है. नोटिफिकेशन के अनुसार जो किसान दो एकड़ से कम भूमि क्षेत्र रखते हैं, उन्हें 5000 रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा देना होगा.
पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध
इसके साथ ही जो किसान दो एकड़ या उससे अधिक, लेकिन पांच एकड़ से कम भूमि क्षेत्र रखते हैं, उन्हें 10,000 रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा देना होगा. जो किसान पांच एकड़ से अधिक भूमि क्षेत्र रखते हैं, उन्हें 30,000 रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा देना होगा. साथ ही पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू रहेगा.
केंद्र सरकार के ‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’ ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके आसपास के इलाकों में ‘एनवायरमेंटल कंपेंसेशन फॉर स्टबल बर्निंग संशोधन कानून’ के प्रावधानों को लागू कर दिया है. इस कानून में पराली जलाने पर जुर्माने और फंड के इस्तेमाल के प्रावधान बताए गए हैं.
SC ने पंजाब-हरियाणा सरकार को लगाई थी फटकार
गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने में विफल रहने के लिए पंजाब और हरियाणा की सरकारों को फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता आयोग को पराली जलाने की घटनाएं लगातार होने के चलते पंजाब और हरियाणा सरकार के अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. साथ ही कोर्ट ने उसके आदेश के उल्लंघनकर्ताओं पर मुकदमा चलाने के लिए एक सप्ताह की समय सीमा तय की है.
दिल्ली में हर साल सर्दियों के मौसम में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता है, जिससे शहर की हवा में घुटन और प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। हालांकि, हाल के दिनों में दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन फिर भी AQI का स्तर “बेहद खराब” स्थिति में बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, 5 नवंबर को दिल्ली का AQI 352 तक पहुंच गया, जो “बेहद खराब” श्रेणी में आता है। यह स्थिति तब होती है जब हवा में मौजूद प्रदूषकों की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, और यह सीधे तौर पर लोगों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है।
इस साल भी दिल्ली में प्रदूषण का वही पुराना मंजर देखने को मिला है। दिल्ली के वायु प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है पराली जलाना, खासकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में। इसे रोकने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं और पराली जलाने पर जुर्माना भी बढ़ा दिया है।
क्या पराली जलाने से ही बढ़ता है प्रदूषण?
पराली जलाने को दिल्ली के प्रदूषण का एक अहम कारण माना जाता है, लेकिन एक नई स्टडी के अनुसार, यह मानना कि सिर्फ पराली जलाने से ही प्रदूषण बढ़ता है, सही नहीं है। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्मेंट (CSE) द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक, दिल्ली में प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान केवल 8.2% है। जबकि, दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा हिस्सा स्थानीय स्रोतों से आता है, जो लगभग 30% प्रदूषण का कारण है। इसके अलावा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के आसपास के जिलों से भी प्रदूषण में 35% तक का इजाफा होता है। दिल्ली में प्रदूषण के सबसे बड़े कारणों में गाड़ियों से निकलने वाला धुआं शामिल है। CSE की स्टडी में पाया गया कि दिल्ली के प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान गाड़ियों का है, खासकर उनके द्वारा छोड़े गए PM2.5 धुएं का। यह पीएम 2.5 कण बहुत छोटे होते हैं, जो हवा में मौजूद होते हैं और इंसान के शरीर में प्रवेश करके दिल और फेफड़ों को प्रभावित करते हैं।
दिल्ली में पटाखों पर बैन वाले नियम की उड़ी धज्जियां: SC ने लताड़ा
दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और अगले साल पटाखों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रस्तावित कदमों के बारे में भी बताया जाए।दिवाली के मौके पर दिल्ली में खूब आतिशबाजी हुई है. बड़े पैमाने पर पटाखे फोड़े गए हैं. इसकी वजह से राजधानी की आबो-हवा बेहद गंभीर हो गई है. आलम ये है कि पीएम 2.5 का स्तर 900 तक पहुंच गया है. यह बेहद ही चौंका देने वाला आंकड़ा है, क्योंकि यह स्वीकार्य सीमा से 15 गुना ज्यादा है. त्यौहारों के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, पटाखों पर बैन है, इसके बावजूद पटाखे जलाने से हालात एक बार फिर खराब हो गए हैं.
उन्होंने कहा, ‘इस बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि प्रतिबंध को शायद ही लागू किया गया था। इसके अलावा, प्रतिबंध लागू न करने का प्रभाव सीएसई की रिपोर्ट से बहुत स्पष्ट है जो दर्शाता है कि 2024 की इस दिवाली में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सर्वकालिक उच्च स्तर पर था। यह 2022 और 2023 की दिवाली से काफी ज्यादा था।
गाड़ियों से प्रदूषण का बढ़ता खतरा
गाड़ियों से निकलने वाले धुएं की वजह से दिल्ली की हवा में PM2.5 का स्तर बहुत तेजी से बढ़ता है। सीएसई के अनुसार, गाड़ियों से निकलने वाले धुएं का योगदान दिल्ली के प्रदूषण में 51.5% है। यह आंकड़ा किसी भी अन्य स्रोत से ज्यादा है। इसके बाद रिहायशी इलाकों और इंडस्ट्री से होने वाला प्रदूषण आता है, लेकिन गाड़ियों का योगदान सबसे बड़ा है। दिल्ली में बढ़ते वाहनों के कारण प्रदूषण और भी बढ़ रहा है। CSE के मुताबिक, 2018-19 में दिल्ली में बसों के खराब होने के 781 मामले सामने आए थे, जबकि 2022-23 में इनकी संख्या बढ़कर 1,259 हो गई। इसके अलावा, दिल्ली में बसों के स्टॉप पर इंतजार करने का समय भी बढ़ गया है, जिससे लोग सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कम करने लगे हैं और अपनी निजी गाड़ियों का इस्तेमाल बढ़ा दिया है।
दिल्ली में गाड़ियों की बढ़ती संख्या
दिल्ली सरकार के 2023-24 के आर्थिक सर्वे के अनुसार, दिल्ली में 85 लाख से ज्यादा गाड़ियां रजिस्टर्ड हैं। हर साल औसतन 6 लाख से ज्यादा नई गाड़ियां दिल्ली में रजिस्टर होती हैं। इसके अलावा, दिल्ली में हर दिन 11 लाख से ज्यादा गाड़ियां आती और जाती हैं। इनमें से अधिकांश गाड़ियां टू-व्हीलर और फोर-व्हीलर हैं, जो प्रदूषण का मुख्य कारण बन रही हैं। हर साल दिल्ली में गाड़ियों की संख्या 15% की दर से बढ़ रही है, जिससे हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और अन्य प्रदूषक तत्वों की मात्रा बढ़ रही है। गाड़ियों से निकलने वाला धुआं न केवल PM2.5 के स्तर को बढ़ाता है, बल्कि यह नाइट्रोजन ऑक्साइड के रूप में भी प्रदूषण का कारण बनता है, जो दिल्ली के प्रदूषण में 81% तक योगदान देता है।
समाधान क्या है?
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार को और कड़े कदम उठाने होंगे। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हो सकते हैं:
1. सार्वजनिक परिवहन का सुधार: दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन की स्थिति को बेहतर बनाना जरूरी है, ताकि लोग अपनी निजी गाड़ियों का उपयोग कम करें। बसों की संख्या बढ़ाने और उनके संचालन को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है।
2. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा: इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने से प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए सस्ती और सुलभ चार्जिंग स्टेशनों की आवश्यकता है।
3. सख्त वाहन नियंत्रण: प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और पुराने, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़कों से हटाया जाए।
4. नियंत्रित निर्माण गतिविधियां: रिहायशी इलाकों और निर्माण स्थलों से निकलने वाले धूल के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कड़े उपायों की जरूरत है।
5.यदि पटाखा फोड़ते भी है तो ग्रीन पटाखों को बढ़ावा देने से प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।
अगर इन उपायों को सही तरीके से लागू किया जाता है, तो दिल्ली की हवा को साफ किया जा सकता है और प्रदूषण से संबंधित समस्याओं को कम किया जा सकता है। दिल्ली की हवा में सुधार के लिए सिर्फ पराली जलाने पर जुर्माना लगाना काफी नहीं है; गाड़ियों और अन्य प्रदूषण स्रोतों पर भी गंभीरता से काम करना जरूरी है।