🔯 भैया दूज भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक यम द्वितीया (भैया दूज) का पावन व्रत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस दिन यमुना स्नान, यम पूजन और बहन के घर भाई का भोजन तिलकादि कृत्य विहित हैं। इस मंगलमय दिवस में व्रती बहनों के लिए प्रातः काल, स्नानादि से निवृत्त हो कर, अक्षत-पुष्पादि से निर्मित अष्ट दल कमल पर गणेशादि की स्थापना कर के, यम, यमुना, चित्रगुप्त तथा यम दूतों का पूजन कर, यमुना स्तवन एवं निम्न मंत्र से यमराज की स्तुति करना श्रेयस्कर हैः
🔹 धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज।
पाहि मां किंकरैः सार्धं सूर्यपुत्र नमोऽस्तु ते।।
🔸निम्न मंत्र से यमुना जी की प्रार्थना करेंः
🔹यमस्वसर्नमस्तेऽस्तु यमुने लोकपूजिते।
वरदा भव मे नित्यं सूर्यपुत्री नमोऽस्तुते।।
🔸निम्न मंत्र से चित्रगुप्त की प्रार्थना करेंः
🔹 मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेन्तं च महाबलम्। लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
इसके उपरांत, शंख, ताम्र पात्र, या अंजलि में जल, पुष्प और गंधाक्षत ले कर, यम देवता के निमित्त निम्न मंत्र से अघ्र्य दें:
🔸 तत्पश्चात् बहन भाई को सुंदर एवं शुभ सुखासन पर बिठा कर उसके हाथ-पैर धुलाए। गंधादि से उसका पूजन कर। मस्तक पर तिलक लगा कर अक्षत लगावे और विभिन्न प्रकार के पेय, लेह्य, चोष्य, षट्रस व्यंजन परोस कर, प्रेम से अभिनंदन करते हुए, सुस्वादु भोजन ग्रहण करने को कहे एवं अपने कर कमलों से भाई को भोजन करावे। भोजनोपरांत, हाथ धो कर, भाई बहन को, यथासामथ्र्य, अन्न-वस्त्र-आभूषण द्रव्यादि दे कर, उसका शुभाशीष प्राप्त करें। इस व्रत से भाई को आयुष्य लाभ होता है एवं बहन को सौभाग्य सुख की प्राप्ति होती है।
🔸 भारतीय संस्कृति में
★ पिता ब्रह्मा की,
★ भाई इंद्र की,
★माता साक्षात् पृथ्वी की,
★ अतिथि धर्म की,
★अभ्यागत अग्नि की,
★ आचार्य वेद की मूर्ति,
★सभी प्राणियों को अपनी आत्मा की तथा
★ बहन को दया की मूर्ति माना गया है। अतः शुभाशीर्वादपूर्वक बहन के हाथ से भोजन करना आयुवर्धक तथा आरोग्यकारक है। शुद्ध स्नेह-प्रेम-अनुराग के प्रतीक इस पावन व्रतोत्सव को बड़े उत्साह और उल्लास से मनाना चाहिए।
🔯 यमुना जी और यम देव की कथा ⚛️
🔸 मरीचि नंदन ब्रह्मर्षि कश्यप की अदिति नाम वाली पत्नी से, विवस्वान् सहित, 12 पुत्रों का जन्म हुआ। यही बारह आदित्य कहलाये। विवस्वान् (सूर्य) की पत्नी महाभाग्यवती संज्ञा के गर्भ से श्राद्धदेव (वैवस्वत) मनु एवं यम-यमी का जोड़ा पैदा हुआ। यही यमराज एवं यमुना नाम से विख्यात हुए। संज्ञा ने ही, घोड़ी का रूप धारण कर के, भगवान सूर्य के द्वारा, भू लोक में दोनों अश्विनी कुमारों को जन्म दिया। विवस्वान् की दूसरी पत्नी छाया के गर्भ से शनैश्चर और सार्वीण मनु नाम के दो पुत्र तथा तपती नाम की कन्या का जन्म हुआ। इधर छाया का यम तथा यमुना से विमाता सा व्यवहार होने लगा। इससे खिन्न हो कर यम ने एक नयी नगरी यमपुरी बसायी और वहां पापियों को दंड देने का कार्य संपादित करने लगे। तब यमुना भी गोलोक चली आयीं, जो कृष्णावतार में कृष्ण की प्राण प्रिया बनीं। यम-यमी में अतिशय प्रेम था। परंतु यमराज यम लोक की शासन व्यवस्था में इतने व्यस्त रहते कि अपनी बहन यमुना जी के घर ही न जा पाते। एक बार यमुना जी यम से मिलने आयीं। बहन को आये देख यमराज बहुत प्रसन्न हुए और बोले: बहन ! मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूं । तुम मुझसे जो भी वरदान मांगना चाहो, मांग लो। यमुना ने कहा: भैया ! आज के दिन जो मुझमें स्नान करे, उसे यम लोक न जाना पड़े। यमराज ने कहा: बहन ! ऐसा ही होगा। उस दिन कार्तिक (दामोदर) मास की शुक्ल पक्ष द्वितीया थी। इसी लिए इस तिथि को यमुना स्नान का विशेष महत्व है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमुना ने अपने घर अपने भाई को, स्वागत-सत्कार सहित, भोजन कराया एवं आनंदोत्सव मनाया। यम लोक में भी बहन-भाई के इस मिलनोत्सव का सभी यम लोकवासियों ने हर्षोल्लास मनाया। इसी लिए यह तिथि यम द्वितीया तथा भैया दूज के नाम से विख्यात हुई। अतः इस दिन भाई को, अपने घर भोजन न कर, बहन के घर जा कर, प्रेमपूर्वक, उसके हाथ से बना हुआ सुस्वादु भोजन करना चाहिए। इससे बल, आयुस्य, पुष्टता आदि की वृद्धि होती है। भाई के मस्तक पर तिलक करना चाहिए। इसके बदले भाई बहन को स्वर्णालंकार, वस्त्र, अन्न, द्रव्यादि से संतुष्ट करे। यदि अपनी सगी बहन न हो, तो पिता के भाई की कन्या, मामा की पुत्री, मौसी, अथवा बुआ की बेटियां भी बहन के समान हैं। इनके हाथ का बना भोजन करें। तिलक लगवाएं। जो भाई यम द्वितीया को बहन के हाथ का भोजन करता है, यमुना जी में बहन के साथ स्नान करता है, उसे, धन, यश, आयुष्य एवं अपरिमित सुख के साथ, धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष चारों पुरुषार्थों की सिद्धि प्राप्त होती है।
🔴 भाई दूज के दिन भाई, बहिन के घर का ही खाना खाए। ऐसा करने से भाई की आयुवृद्धि होती है। पहला कौर बहिन के हाथ से खाएं। स्कंदपुराण के अनुसार इस दिन जो बहिन के हाथ से भोजन करता है, वह धन एवं उत्तम सम्पदा को प्राप्त होता है। अगर बहिन न हो तो मुँहबोली बहिन या मौसी/मामा की पुत्री को बहिन मान ले। अगर वह भी न हो तो किसी गाय अथवा नदी को ही बहिन बना ले और उसके पास भोजन करे। कहने का आश्रय यह है की यमद्वितीया को कभी भी अपने घर भोजन न करे।
🔴 आज के दिन बहिन अपने भाई की 3 बार आरती जरूर उतारे।
🔴 आज के दिन बहिन भाई को तथा भाई बहिन को कोई न कोई उपहार जरूर दे स्कंदपुराण के अनुसार विशेषतः वस्त्र तथा आभूषण। आज के दिन भाई बहिन का यमुना जी में नहाना भी बहुत शुभ है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना जी में स्नान करने वाला पुरुष यमलोक का दर्शन नहीं करता।
तस्यां स्वसुः करतलादिह यो भुनक्ति प्राप्नोति रत्नधनधान्यमनुत्तमं सः ।।
🔴 कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्वकाल में यमुनाजी ने यमराज को अपने घर भोजन कराया था, इसलिए यह ‘यमद्वितीया’ कहलाती है। इसमें बहिन के घर भोजन करना पुष्टिवर्धक बताया गया है। अतः बहिन को उस दिन वस्त्र और आभूषण देने चाहिए। उस तिथि को जो बहिन के हाथ से इस लोक में भोजन करता है, वह सर्वोत्तम रत्न, धन और धान्य पाता है ।
🔴 दीपावली पर्व के पांचवे दिन यानी कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 06 नवम्बर, शनिवार को है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है।
🔴 धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन ही यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर बुलाकर सत्कार करके भोजन कराया था। इसीलिए इस त्योहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। तब यमराज ने प्रसन्न होकर उसे यह वर दिया था कि जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। सूर्य की पुत्री यमुना समस्त कष्टों का निवारण करने वाली देवी स्वरूपा है।
🔴 भाई की उम्र बढ़ानी है तो करें यमराज से प्रार्थना सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। बहन भाई की आयु-वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन करें। प्रार्थना करें कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी कर दें।
🔴 इसके बाद बहन भाई को भोजन कराती हैं। भोजन के बाद भाई की तिलक लगाती हैं। इसके बाद भाई यथाशक्ति बहन को भेंट देता है। जिसमें स्वर्ग, आभूषण, वस्त्र आदि प्रमुखता से दिए जाते हैं। लोगों में ऐसा विश्वास भी प्रचलित है कि इस दिन बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो उसकी उम्र बढ़ती है और उसके जीवन के कष्ट दूर होते हैं।