विशेष संवाददाता राजेंद्र मंण्डावी बेहद कठीन परिस्थितियों के बावजूद लगातार संघर्ष से सफलता हासिल
कांकेर। संघर्ष करने वालों की कभी हार नहीं होती है, इसे दया राम वट्टी पिता हासपेन सोनसिर वट्टी, माता हासपेन जयबती, चिचाड़ी (सोड़ापारा) विकासखंड- फरसगांव के रहने वाले ने उप निरीक्षक के पद पर चयनीत होकर सही साबित किया है। मेहनत करने वाले की कभी गरीबी हालत रूकावट नहीं होती है, इनका कहानी बेहद ही दर्द भरा है।
वैसे तो दया राम वट्टी ग्राम पंचायत चिचाड़ी (वि.खं.-फरसगांव) के अंतर्गत सोड़ापारा के रहने वाले हैं। इनकी प्रांरभिक शिक्षा बहुत ही गरीबी हालत में हुई है। इनकी पढ़ाई के दौरान कई परिवारिक मुसीबतों का सामना करना पड़ा है। बेहद दर्द ही भरा इनका जीवन सफर है, वर्ष 2011 में उनकी बहन कुमारी रमशीला का डेथ हुआ तब दया राम वट्टी बारहवीं में था और उनकी बहन 10 वीं में पढ़ रही थी, कम उम्र में ही उनकी बहन परिवार को छोड़कर चली गई, पूरा परिवार सदमे में था। और दया के लिए बारहवीं उत्तीर्ण करना एक और चुनौती था। इस चुनौती को दया राम ने पार कर लिया।
चुनौती यहीं पर खत्म नहीं हुआ, बारहवीं उत्तीर्ण के बाद मां को पैरालिसिस हो गई कॉलेज की पढ़ाई के लिए उनके बड़े भाई बहनों (दीदीयों) पर निर्भर रहा, कालेज की पढ़ाई छोड़-छोड़ कर किया है, समय पर उनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन रहा था जाति प्रमाणपत्र नहीं बनने के कारण दो साल बर्बाद हुआ जाति प्रमाणपत्र बना तो कॉलेज जाने लगा, फर्स्ट इयर में परीक्षा टाइम बीमार पड़ गया जिसके कारण परीक्षा बीच में छोड़ना पड़ा, अगले साल फिर प्राइवेट दिया, फर्स्ट इयर (B.Sc.) उत्तीर्ण हुआ और फिर कालेज रेगुलर जाने लगा और इस तरह वर्ष 2017 में ग्रेजुएशन पूर्ण किया। वर्ष 2017 में ही उनके पिता जी गुजर गए और मां पैरालिसिस से बिमारी से संघर्ष कर रही है। इतनी कठिनाईयों के बावजूद प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी जारी रहा।
ग्रेजुएशन उत्तीर्ण के बाद प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी चालू किया, इसके लिए भी आर्थिक स्थिति सही होने के साथ- साथ परीक्षा तैयारी के लिए सही मार्गदर्शन मिलना भी एक चुनौती था। ग्रेजुएशन के बाद पैसों की कमी के कारण एक साल घर में रहा छ: महिना ट्यूटर की नौकरी भी किया। इसी बीच आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए सीआईएसएफ जवान विष्णु मरकाम (चिचाड़ी) के द्वारा अपने साथ रखकर भिलाई में कोचिंग करवाया। उसके बाद भिलाई में रहकर उनके दोस्तों ने भी मदद किया है। कापी पुस्तक के लिए उनके मित्र जैसे रामप्रसाद नेताम (चिचाड़ी) भिलाई से कोचिंग करके आने के बाद पेपर और फिजिकल की तैयारी घर में ही किया है । गांव में कंपीटिशन तैयारी करने वालों के लिए कोई ग्राउंड नहीं है और न ही बैठकर पढ़ने के लिए कोई लाइब्रेरी है। दया राम ने गांव के पग डंडियों में दौड़ने की तैयारी किया है, एक टाइम सुबह 4 बजे रोड़ में दौड़ने के लिए जाना होता था।
जिद्द के कारण अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए लगातार प्रयास करता रहा। तैयारी के साथ-साथ अपनी मां की सेवा (खिलाना-पिलाना और साफ सफाई) भी करता था, उनकी मां 23 सितंबर 2024 में गुजर गई, मां जाने के बाद दया राम मानसिक रूप से टूट गया था, फिर भी हिम्मत करके कंपीटिशन की तैयारी निरंतर जारी रखा। मां गुजर जाने के एक महीने बाद 28 अक्टूबर को एसआई का रिजल्ट आया, यह दिन उनके लिए खास था और अपने बच्चे को मां आशीर्वाद मिला और चयन सूची में उप निरीक्षक के पद पर चयनीत हुआ। उनकी मेहनत के सामने वह लक्ष्य उनके कदमों के सामने झुकना पड़ा, इनका जीवन सफर अभी के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है। ऐसे जीवट दया राम वट्टी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं देते हैं। आप सदैव समाज सेवा एवं देश सेवा में अग्रणी रहे हैं।