छ.ग. विशेष संवाददाता :- राजेन्द्र मंडावी भारत देश का असली मालिक आदिवासी – सोशल एक्टिविस्ट बीपीएस पोया
कांकेर। शासकीय महाविद्यालय रामानुजनगर जिला सूरजपुर में “जनजाति गौरवशाली अतीत” कार्यशाला का आयोजन में बीपीएस पोया ने कहा भारत देश का असली मालिक आदिवासी ।
महाविद्यालय में “जनजाति गौरवशाली अतीत” विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, कार्यक्रम की शुरुआत महापुरुषों की छायाचित्र पर दीप पराजित कर और छत्तीसगढ़ राज्यकिय गीत अरपा पैरी की धार से किया गया जिसमें आदिवासी समुदाय के गौरवशाली इतिहास और उनके योगदानों पर विस्तृत चर्चा की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रेमनगर विधायक भुलन मरावी ने राज्य एवं केंद्र सरकार के योजनाओं को लेकर अवगत कराया ।, जबकि अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य रामकुमार साहू जी ने की । विशिष्ट अतिथि के रूप में सोशल एक्टिविस्ट बीपीएस पोया ने आदिवासी समाज के इतिहास, परंपराओं, शिक्षा और सामाजिक योगदान पर अपने विचार रखे।
बीपीएस पोया ने आदिवासी समुदाय के गौरवशाली अतीत को समझाते हुए कहा कि उनका शैक्षणिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक योगदान हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने परंपरागत ज्ञान, पर्यावरण संरक्षण, और स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासियों की भूमिका पर प्रकाश डाला। पोया ने नारी सशक्तिकरण, संस्कृति, कला और सामाजिक समानता के सिद्धांतों पर भी जोर दिया।
पोया ने ब्रिटिश सरकार की 1871 से 1931 तक की जाति जनगणना का जिक्र करते हुए बताया कि 1871 में पहली बार ब्रिटिश सरकार ने आदिवासियों को “वाइल्ड ट्राइब्स” और “अनसिविलाइज्ड ट्राइब्स” 1891 ,1901 मे animists प्रकृति पूजक के रूप में वर्गीकृत किया। 1911 और 1921 की जनगणना में इन्हें “प्रिमिटिव ट्राइब्स” आदिम जनजाति और 1931 में “आइसोलेटेड ट्राइब्स” कहा गया। भारतीय संविधान बनने के बाद सन 1951 से लेकर 2011 तक की जनगणना में शेड्यूल ट्राइब्स लिखा गया है ।स्वतंत्रता के बाद, भारतीय संविधान में आदिवासियों को “अनुसूचित जनजाति” का दर्जा दिया गया, जो आज तक संरक्षित है।
कार्यक्रम के दौरान, बीपीएस पोया ने भारत की अनुसूचित क्षेत्र में 70% खनिज संपदा वन्य जीव संपदा है संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों जैसे अनुच्छेद 15,15(4) अनुसूचित जनजाति को शैक्षिक अधिकार 16,16(4) नौकरी में आरक्षण , 244(1) पांचवी अनुसूची 244 (2) छठी अनुसूची , व संसद और विधानसभा में आरक्षण 330, 332, और 243D ,243T पंचायत और नगर निकाय में आरक्षण , अनुच्छेद 29 30 सांस्कृतिक अधिकार, पेसा अधिनियम1996 वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत आदिवासी समुदाय के लिए शैक्षिक, सामाजिक, और आर्थिक सुरक्षा की जानकारी दी। उन्होंने आदिवासी महापुरुषों जैसे कोमाराम भीम गोंड, महाराजा शंकर शाह, रघुनाथ शाह, बिरसा मुंडा, शहीद वीर नारायण सिंह , वीरगुंडा धुर और माता राजमोहिनी रानी ,दुर्गावती के वीरतापूर्ण संघर्षों को याद किया और युवा पीढ़ी को उनके आदर्शों से प्रेरणा लेने की बात कही। उन्होंने छात्र को बताया कि गांव ग्राम व्यवस्था की जनक आदिवासी समुदाय और लोकतंत्र की व्यवस्था आदिवासियों का देन है । उन्होंने आदिवासी समुदाय के संरक्षक राज्यपाल और राष्ट्रपति को बताते हुए कहा कि वर्तमान आदिवासियों की स्थिति दिशा और दशा को सकारात्मक पहल करते हुए उनकी रक्षा करना दायित्व है
कार्यशाला के दौरान बीपीएस पोया ने नशा मुक्ति और शिक्षा पर भी जोर दिया और छात्रों से सामाजिक जागरूकता फैलाने की अपील की। उन्होंने छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार की योजनाओं का भी उल्लेख किया, जो आदिवासी समुदाय के विकास और उत्थान के लिए चलाई जा रही हैं।
इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक, छात्र-छात्राएं और जनजाति समाज के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम का उद्देश्य था कि आदिवासी समाज की धरोहर केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरे देश की धरोहर है और इसे सुरक्षित रखना हम सभी का कर्तव्य है। कार्यक्रम में बाबूलाल अग्रवाल विधायक प्रतिनिधि , दरोगा सिंह ,सुंदर राम सिंह ,दिनेश सदस्य वनवासी विकास समिति समाज, अश्वनी सिंह, रवि अन्य शिक्षक गण के पदाधिकारी कार्यकर्ता छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे ।