विशेष संवाददाता पुनीत मरकाम ✍️ छत्तीसगढ़ गोंड कर्मचारी कल्याण परिषद द्वारा धार्मिक कार्यशाला का सफल आयोजन
कांकेर। अंबिकापुर (गांधीनगर) सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में छत्तीसगढ़ गोंड कर्मचारी कल्याण परिषद द्वारा एक दिवसीय धार्मिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में गोंड समुदाय के धर्म और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित और प्रचारित करने पर विस्तार से चर्चा की गई।
संगठन के प्रमुख संरक्षक ए.पी. सांडिल्य ने गोंडी धर्म की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए इसे प्राकृतिक धर्म बताया। उन्होंने कहा, “गोंडी धर्म आदिकालीन गोंडवाना सभ्यता, किले, शासकों, टोटम और पारंपरिक गांव व्यवस्था से चलता आ रहा है। यह हमारी पुरखा संस्कृति और सभ्यता का जीवित प्रतीक है।” उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की कि जनगणना में गोंडी धर्म के लिए अलग कॉलम दिया जाए ताकि समुदाय के लोग स्वतंत्र रूप से अपना धर्म दर्ज कर सकें। उन्होंने समाज के लोगों और संगठन के पदाधिकारियों से गांव-गांव में गोंडी धर्म के प्रचार-प्रसार का आह्वान भी किया।
कार्यशाला में परिषद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. के.एस. परस्ते ने कहा, “धारणा ही धर्म है और कर्म ही पूजा है।” उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 244 (1) और (2) के तहत अनुसूचित जनजातियों को दिए गए अधिकारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गोंड समुदाय को जंगल, जमीन, जल, धर्म और सांस्कृतिक अधिकार प्राप्त हैं और अपनी परंपराओं को जीवित रखने के लिए उन्हें संरक्षण देना अत्यंत आवश्यक है। कार्यक्रम में सोमारसाय सिंह मरावी (जिला अध्यक्ष, सरगुजा), वीर साय मरावी (सचिव), संपत सिंह नेताम (कोषाध्यक्ष), अमृत नेताम (ब्लॉक अध्यक्ष, लुण्ड्रा), सामाजिक कार्यकर्ता बीपीएस पोया और अन्य प्रमुख लोग उपस्थित रहे।
कार्यशाला के माध्यम से गोंड समुदाय के लोगों ने अपनी परंपराओं को सुरक्षित रखने के लिए सामूहिक प्रयास करने का संकल्प लिया।