सवांददाता मीडिया प्रभारी मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ
बढ़ता प्रदूषण फेफड़ों का दुश्मन बन रहा है। वहीं खराब लाइफस्टाइल और ज्यादा धूम्रपान से फेफड़े प्रभावित हो रहे हैं। फेफड़ों की ज्यादातर बीमारियां इन्हीं कारण की वजह से होती हैं। हालांकि बंद घरों और दफ्तरों में काम करने वाले लोग भी फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं झेल रहे हैं। जी हां जिन लोगों के घरों में वेंटिलेशन की समस्या है उन्हें फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। डॉक्टर्स का कहना है कि बाहरी प्रदूषण की तरह घरों के अंदर की हवा भी फेफड़ों के लिए खतरनाक साबित हो रही है। इससे अस्थमा
ब्रोंकाइटिस और यहां तक कि कैंसर का भी खतरा बढ़ रहा है। अगर आपके ऑफिस या घक में ठीक वेंटिलेशन नहीं है तो ये आपकी सेहत के लिए लिहाज से ठीक नहीं है।
खराब वेंटिलेशन इन बीमारियों का है कारण
कुछ लोगों के घरों में हवा का प्रोपर वेंटिलेशन नहीं होता है। इसके अलावा ज्यादातर ऑफिस ऐसे बने होते हैं कि कही से हवा का एक झौंका भी नहीं आ सकता। फुल एसी और कांच की दीवारों से पैक होते हैं। इन जगहों पर आप एसी की हवा में बैठकर घंटों काम करते हैं। या यूं कहें दिनभर यहीं बिताते हैं। इन जगहों पर काम करने से न सिर्फ सांस का इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ता है बल्कि लॉन्ग टाइम में फेफड़ों को काफी नुकसान भी हो सकता है।
बंद घरों में रहने से हो सकती हैं ये समस्याएं
डॉक्टर्स की मानें तो खराब वेंटिलेशन वाले स्थानों पर हवा में 100 गुना ज्यादा सूक्ष्म कण पैदा हो सकते हैं। जिससे आप इनडोर वायुप्रदूषण के शिकार हो सकते हैं। ऐसी जगहों पर लंबे समय तक काम करने से फेफड़ों में संक्रमण और निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी बंद जगहों पर काम करने से सिर में दर्द, आंखों में जलन और चक्कर आने की समस्या पैदा हो सकती है। अस्थमा के मरीज अगर बिना वेंटिलेशन वाले घरों में रहते हैं तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
बच्चों की सेहत पर पड़ सकता है भारी
वैसे तो लो वेंटिलेशन वाली जगहों पर रहने वाले लोगों पर भी इसका नकारात्मक असर होता है, लेकिन जिन लोगों को पहले से ही फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है उन्हें ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ सकती है। बच्चों को भी बंद स्कूलों में रहने के कारण जोखिम उठाने पड़ रहे हैं।
फेफड़ों के कैंसर की एक वजह है इनडोर प्रदूषण
WHO की एक रिपोर्ट में कहा गया कि युवाओं में फेफड़ों के कैंसर से होने वाली करीब 11% मौत का कारण इनडोर वायु प्रदूषण से पैदा होने वाले कैंसरकारी तत्व हैं। इनडोर प्रदूषण से बचने के लिए घर और ऑफिस में वेंटिलेशन की अच्छी व्यवस्था करें। खिड़की दरवाजों को दिन में कुछ देर के लिए खोलें जिससे फ्रेश हवा घर के अंदर आ सके। कुछ देर खुली हवा में बाहर जरूर बिताएं,जहां प्रदूषण कम हो।