केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जेपी नड्डा ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा आयोजित विश्व खाद्य भारत 2024 कार्यक्रम के साथ-साथ एफएसएसएआई द्वारा आयोजित वैश्विक खाद्य नियामक सम्मेलन 2024 के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज यहां भारत मंडपम में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी की उपस्थिति में वैश्विक खाद्य नियामक सम्मेलन 2024 के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की ओर से आयोजित इस शिखर सम्मेलन का आयोजन खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा आयोजित किए जा रहे विश्व खाद्य भारत 2024 कार्यक्रम के साथ-साथ किया जा रहा है। इसका उद्देश्य खाद्य नियामकों के लिए खाद्य मूल्य श्रृंखला में खाद्य सुरक्षा प्रणालियों और नियामक ढांचे को मजबूत करने की परख का आदान-प्रदान करने के लिए एक वैश्विक मंच स्थापित करना है।
श्री जेपी नड्डा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “हमारे माननीय प्रधानमंत्री के “वसुधैव कुटुम्बकम- एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” के दृष्टिकोण के अनुरूप, हमने 2023 में जी20 शिखर सम्मेलन के साथ सह-ब्रांडेड कार्यक्रम के रूप में वैश्विक खाद्य नियामक सम्मेलन की शुरुआत की। यह अनूठी पहल वैश्विक खाद्य नियामकों को हमारी खाद्य सुरक्षा प्रणालियों के समक्ष चुनौतियों और खतरों पर चर्चा करने के लिए एक मंच पर लाई।
श्री जेपी नड्डा ने प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथ की एक पंक्ति को उद्धरण देते हुए कहा, “जब भोजन शुद्ध होता है, तो इससे मस्तिष्क शुद्ध होता है। जब मस्तिष्क शुद्ध होता है, तो स्मृति स्थिर होती है। जब स्मृति स्थिर होती है, तो हृदय की सभी गांठें (अज्ञान, संदेह, आसक्ति) खुल जाती हैं और व्यक्ति मुक्ति प्राप्त करता है,” श्री नड्डा ने मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करने में शुद्ध भोजन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “यह असीमित व्यवस्था भोजन, स्वास्थ्य और कल्याण के बीच महत्वपूर्ण संबंध को दर्शाती है।”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया खाद्य जनित बीमारियों, पौष्टिक औषधीय सुरक्षा (न्यूट्रास्युटिकल), नवीन खाद्य पदार्थों और माइक्रो प्लास्टिक जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है, तब खाद्य नियामकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि खाद्य नियामकों की भूमिका पहले कभी इतनी महत्वपूर्ण नहीं रही है और इसके लिए निरंतर सहयोग, अथक नवाचार और खाद्य सुरक्षा प्रणालियों में निरंतर सुधार के लिए प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।