वाराणसी की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला, 18वीं सदी में हुई थी शुरुआत…
वाराणसी। काशी की रामलीला एक ऐसी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर है, जो सदियों से काशी की पहचान बनी हुई है। यह न केवल भगवान राम के जीवन और उनके आदर्शों का मंचन है, बल्कि यह समाज के लिए एक धार्मिक, नैतिक और सांस्कृतिक संदेश भी है। रामनगर की रामलीला, इसके आयोजन की भव्यता और उसकी परंपराओं के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
काशी का इतिहास वैदिक काल से जुड़ा है, और यहां की रामलीला की परंपरा भी उतनी ही प्राचीन और गौरवशाली है। काशी की रामलीला न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों का भी प्रतीक है। इस रामलीला का आयोजन 18वीं शताब्दी से शुरू हुआ, जिसे आज भी बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस लेख में काशी की रामलीला के इतिहास, परंपराओं, विभिन्न पहलुओं और इसके सांस्कृतिक महत्त्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
काशी की रामलीला का आरंभ 18वीं शताब्दी में काशी नरेश के संरक्षण में हुआ। इसे काशी नरेश की पहल और उत्साह का परिणाम माना जाता है, जो रामायण के महाकाव्य और भगवान श्रीराम के जीवन के आदर्शों को जनता तक पहुँचाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। रामलीला का आयोजन तुलसीदास रचित रामचरितमानस पर आधारित है, जो रामायण का एक सरल और भावनात्मक संस्करण है, जिसे साधारण लोग भी आसानी से समझ सकते हैं।
रामलीला की शुरुआत करते हुए काशी नरेश नें इसे वाराणसी के विभिन्न हिस्सों में फैलाया, जिससे यह धीरे-धीरे शहर की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन गई। काशी नरेश आज भी रामलीला के संरक्षक मानें जाते हैं, और उनके बिना रामलीला का आयोजन अधूरा माना जाता है। काशी की रामलीला अपने आप में एक चलती-फिरती कथा है, जिसमें विभिन्न स्थानों पर मंचन होता है और लोग भी साथ चलते हैं, जिससे दर्शक सीधे तौर पर इस धार्मिक नाट्य में शामिल हो जाते हैं।
काशी की सबसे प्रसिद्ध रामलीला रामनगर में आयोजित होती है । यह रामलीला लगभग एक महीनें तक चलती है और इसमें हर दिन रामायण के किसी न किसी प्रसंग का मंचन किया जाता है। रामनगर की रामलीला की विशेषता यह है कि इसे वाराणसी के विभिन्न हिस्सों में स्थानांतरित करके प्रस्तुत किया जाता है। यह रामलीला न केवल काशी के लिए, बल्कि संपूर्ण भारत और दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आयोजन है।
रामनगर की रामलीला में जो सबसे अनोखी बात है, वह है इसकी स्थिरता। रामलीला का मंचन रामनगर के स्थायी सेटों पर होता है, जो दशकों से उसी स्थान पर बने हुए हैं। अयोध्या, जनकपुर, लंका आदि के लिए अलग-अलग स्थान निर्धारित हैं, जहां कथा के अनुसार मंचन होता है। रामनगर की रामलीला में कलाकार बिना किसी माइक या आधुनिक ध्वनि उपकरण के अपने संवाद बोलते हैं, और दर्शक भी बिना किसी अतिरिक्त ध्वनि सहायता के इस रामलीला का आनंद लेते हैं।
काशी की रामलीला धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह भगवान राम के जीवन, उनके आदर्शों, और उनकी मर्यादाओं का प्रतीक है। रामलीला के माध्यम से समाज में धार्मिक और नैतिक मूल्यों का प्रसार होता है। भगवान राम को हिन्दू धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, और उनके जीवन से जुड़ी रामलीला के विभिन्न प्रसंगों में उनके गुणों का वर्णन किया जाता है।