सवांददाता मीडिया प्रभारी मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
सप्तर्षि मन्वन्तर की अवधि तक जीवित रहते हैं : कालवा
श्रीडूंगरगढ़ कस्बे की ओम योग सेवा संस्था के निदेशक योगाचार्य ओम प्रकाश कालवा ने सत्यार्थ न्यूज चैनल पर 71 वां अंक प्रकाशित करते हुए सप्त ऋषियों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया। सप्त ऋषि वशिष्ठ,विश्वामित्र कश्यप, भारद्वाज, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, ऋषि।
सप्तर्षियों की उत्पत्ति
-विष्णु पुराण समेत सभी ग्रंथों में सप्त ऋषियों का उल्लेख मिलता है। पुराणों के अनुसार, सप्तर्षियों का जन्म ब्रह्मा जी के मस्तिष्क से हुआ था और शिव जी (कौन हैं भगवान शिव की 5 बेटियां) ने गुरु का दायित्व संभालते हुए इन सप्तऋषियों को शिक्षा और ज्ञान प्रदान किया था।
अभी भी जीवित है।
सप्तर्षि मन्वन्तर की अवधि तक जीवित रहते हैं। इसलिए, वे अभी भी जीवित हैं । वे सात तारों (सप्त ऋषि मंडल) पर रहते हैं जो ध्रुव तारे के चारों ओर घूमते हैं।
सप्तर्षि का दूसरा नाम
पूर्ण चरण दर चरण उत्तर “सप्तर्षि” तारामंडल का भारतीय नाम उरसा मेजर या ग्रेट बीयर है। इन सप्तर्षि तारों के नाम हैं- क्रतु (दुभे), पुलहा (मेरक), पुलस्त्य (फेकडा), अत्रि (मेग्रेज़), अंगिरस (अलियोथ), वशिष्ठ (मिज़ार), मरीचि (अलकाइड)।
निवेदन
ओम योग सेवा संस्था श्री डूंगरगढ़ द्वारा जनहित में जारी।