न्यूज रिपोर्टर नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है ज्योतिष शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है !पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त, चद्रोदय-चन्द्रास्त काल, तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त, योगकाल, करण, सूर्य-चंद्र के राशि, चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं!
🙏जय श्री कृष्णा🙏
आज का पंचांग
*दिनाँक:- 19/06/2024, बुधवार*
द्वादशी, शुक्ल पक्ष,
ज्येष्ठ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———- द्वादशी 07:27:31 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——— विशाखा 17:22:18
योग————- सिद्ध 21:10:28
करण———– बालव 07:27:31
करण———– कौलव 19:43:41
वार———————— बुधवार
माह————————- ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——- तुला 11:04:19
चन्द्र राशि—————– वृश्चिक
सूर्य राशि—————– मिथुन
रितु————————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————- क्रोधी
संवत्सर (उत्तर) —————कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————- 2080
शक संवत—————— 1946
कलि संवत—————– 5125
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:25:26
सूर्यास्त————— 19:15:57
दिन काल————- 13:50:31
रात्री काल————- 10:09:40
चंद्रोदय————— 16:54:12
चंद्रास्त—————- 27:29:47
लग्न—- मिथुन 4°1′ , 64°1′
सूर्य नक्षत्र—————– मृगशिरा
चन्द्र नक्षत्र—————- विशाखा
नक्षत्र पाया——————- रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
ते—- विशाखा 11:04:19
तो—- विशाखा 17:22:18
ना—- अनुराधा 23:37:44
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= मिथुन 04:10, मृगशिरा 4 की
चन्द्र=तुला 27:30 , विशाखा 3 ते
बुध =मिथुन 09:53′ आर्द्रा 1 कु
शु क्र= मिथुन 07°05, आर्द्रा ‘ 1 कु
मंगल=मेष 13°30 ‘ अश्विनी ‘ 4 ला
गुरु=वृषभ 11°30 रोहिणी , 1 ओ
शनि=कुम्भ 25°00 ‘ पू o भा o ,2 सो
राहू=(व) मीन 17°45 रेवती , 1 दे
केतु=(व) कन्या 17°45 हस्त , 3 ण
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 12:21 – 14:05 अशुभ
यम घंटा 07:09 – 08:53 अशुभ
गुली काल 10:37 – 12: 21अशुभ
अभिजित 11:53 – 12:48 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:53 – 12:48 अशुभ
वर्ज्यम 21:33 – 23:13 अशुभ
प्रदोष 19:16 – 21:19 शुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ 05:25 – 07:09 शुभ
अमृत 07:09 – 08:53 शुभ
काल 08:53 – 10:37 अशुभ
शुभ 10:37 – 12:21 शुभ
रोग 12:21 – 14:05 अशुभ
उद्वेग 14:05 – 15:48 अशुभ
चर 15:48 – 17:32 शुभ
लाभ 17:32 – 19:16 शुभ
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 19:16 – 20:32 अशुभ
शुभ 20:32 – 21:48 शुभ
अमृत 21:48 – 23:05 शुभ
चर 23:05 – 24:21* शुभ
रोग 24:21* – 25:37* अशुभ
काल 25:37* – 26:53* अशुभ
लाभ 26:53* – 28:09* शुभ
उद्वेग 28:09* – 29:26* अशुभ
💮होरा, दिन
बुध 05:25 – 06:35
चन्द्र 06:35 – 07:44
शनि 07:44 – 08:53
बृहस्पति 08:53 – 10:02
मंगल 10:02 – 11:11
सूर्य 11:11 – 12:21
शुक्र 12:21 – 13:30
बुध 13:30 – 14:39
चन्द्र 14:39 – 15:48
शनि 15:48 – 16:58
बृहस्पति 16:58 – 18:07
मंगल 18:07 – 19:16
🚩होरा, रात
सूर्य 19:16 – 20:07
शुक्र 20:07 – 20:58
बुध 20:58 – 21:48
चन्द्र 21:48 – 22:39
शनि 22:39 – 23:30
बृहस्पति 23:30 – 24:21
मंगल 24:21* – 25:12
सूर्य 25:12* – 26:02
शुक्र 26:02* – 26:53
बुध 26:53* – 27:44
चन्द्र 27:44* – 28:35
शनि 28:35* – 29:26
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
मिथुन > 04:18 से 6:56 तक
कर्क > 06:56 से 08:44 तक
सिंह > 08:44 से 11:24 तक
कन्या > 11:24 से 13:30 तक
तुला > 13:30 से 15: 32 तक
वृश्चिक > 15:32 से 18:04 तक
धनु > 18:04 से 19:56 तक
मकर > 19:56 से 22:08 तक
कुम्भ > 22:08 से 23:20 तक
मीन > 23:20 से 00:50 तक
मेष > 00:50 से 02:30 तक
वृषभ > 02:40 से 04:18 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पिस्ता अथवा पान खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
12 + 4 + 1 = 17 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
12 + 12 + 5 = 29 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*बुध प्रदोष व्रत (शिव पूजन)
*सर्वार्थ, अमृत सिद्धि योग 17:22 से
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
युगान्ते प्रचलेन्मेरुः कल्पान्ते सप्त सागराः ।
साधवः प्रतिपन्नार्थान्न चलन्ति कदाचन ।।
।। चा o नी o।।
जब युग का अंत हो जायेगा तो मेरु पर्वत डिग जाएगा. जब कल्प का अंत होगा तो सातों समुद्र का पानी विचलित हो जायगा. लेकिन साधू कभी भी अपने अध्यात्मिक मार्ग से नहीं डिगेगा.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: ज्ञानविज्ञानयोग अo-07
ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषतः ।,
यज्ज्ञात्वा नेह भूयोऽन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते ॥,
मैं तेरे लिए इस विज्ञान सहित तत्व ज्ञान को सम्पूर्णतया कहूँगा, जिसको जानकर संसार में फिर और कुछ भी जानने योग्य शेष नहीं रह जाता॥,2॥,
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष-आंखों को चोट व रोग से बचाएं। कीमती वस्तु गुम हो सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। हल्की हंसी-मजाक किसी से भी न करें। नकारात्मकता रहेगी। अकारण क्रोध होगा। फालतू खर्च होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। बेवजह कहासुनी हो सकती है। जोखिम न लें।
🐂वृष-अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। मस्तिष्क पीड़ा हो सकती है। घर-बाहर सहयोग प्राप्त होगा। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। बेरोजगारी दूर होगी। अचानक कहीं से लाभ के आसार नजर आ सकते हैं। किसी बड़ी समस्या से निजात मिलेगी। निवेश व नौकरी मनोनुकूल लाभ देंगे।
👫मिथुन-किसी भी निर्णय को लेने में जल्दबाजी न करें। भ्रम की स्थिति बन सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। थकान व कमजोरी महसूस होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। कारोबार में मनोनुकूल लाभ होगा। प्रमाद न करें।
🦀कर्क-जल्दबाजी में कोई काम न करें। पुराना रोग परेशानी का कारण बन सकता है। कोई आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। कुंआरों को वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। प्रयास सफल रहेंगे। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में उन्नति होगी। व्यापार लाभदायक रहेगा। प्रमाद न करें।
🐅सिंह-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में कमी रह सकती है। दु:खद समाचार की प्राप्ति संभव है। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। बेवजह विवाद की स्थिति बन सकती है। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। दूसरों के उकसाने में न आकर महत्वपूर्ण निर्णय स्वयं लें, लाभ होगा।
🙍♀️कन्या-किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा लाभदायक रहेगी। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। व्यापार मनोनुकूल रहेगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य खराब हो सकता है। प्रमाद न करें।
⚖️तुला-रोजगार में वृद्धि तथा बेरोजगारी दूर होगी। आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। संचित कोष में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। शेयर मार्केट में सोच-समझ्कर निवेश करें। संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। झंझटों से दूर रहें। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी।
🦂-वृश्चिककोर्ट व कचहरी में लंबित कार्य पूरे होंगे जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। शेयर मार्केट से लाभ होगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। भाग्य का साथ रहेगा। सभी काम पूर्ण होंगे। जल्दबाजी न करें।
🏹धनु-बोलचाल में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। प्रतिद्वंद्विता कम होगी। शत्रु सक्रिय रहेंगे। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। ऐसा कोई कार्य न करें जिससे बाद में पछताना पड़े। जोखिम न लें।
🐊मकर-धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। कोर्ट व कचहरी के अटके कामों में अनुकूलता आएगी। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। दूसरों के काम में हस्तक्षेप न करें। चोट व रोग से बचें। सेहत का ध्यान रखें। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। लाभ में वृद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी।
🍯कुंभ-कोई पुरानी व्याधि परेशानी का कारण बनेगी। विरोधी सक्रिय रहेंगे। कोई बड़ी समस्या से सामना हो सकता है। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। किसी विशेष क्षेत्र में सामाजिक कार्य करने की इच्छा रहेगी। प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि होगी। निवेश शुभ रहेगा।
🐟मीन-बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल लाभ देगी। लाभ के मौके बार-बार प्राप्त होंगे। विवेक का प्रयोग करें। बेकार बातों में समय नष्ट न करें। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में तरक्की के योग हैं। व्यापार की गति बढ़ेगी। लाभ में वृद्धि होगी। प्रमाद न करें।
बुधवार व्रत कथा (Budhwar Vrat Katha):
एक समय की बात है एक व्यक्ति का विवाह हुए कई वर्ष बीत गए। विवाह के बाद उसकी पत्नी एक बार अपने मायके गई हुई थी। पत्नी के मायके में रहने के कई दिनों बाद उसका पति अपनी पत्नी को विदा करवाने के लिए ससुराल पहुंचा। ससुराल में कुछ दिन तक रहने के बाद वह पत्नी को मायके से विदा करने की बात अपने सास-ससुर के कही। बुधवार का दिन होने के कारण उसके सास-ससुर ने कहा कि इस दिन बेटी ससुराल नहीं जा सकती इस कारण विदाई नहीं हो सकती है। लेकिन वह व्यक्ति नहीं माना और अपनी पत्नी को मायके से विदा कराकर अपने घर की तरफ चल दिया। रास्ते में जाते वक्त पत्नी को बहुत तेज से प्यास लगी तब पति पानी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगा। काफी देर के बाद जब वह पानी लेकर वापस लौटा तो उसने देखा कि पत्नी के पास उसी की वेशभूषा में कोई अन्य व्यक्ति पत्नी के संग बैठकर बाते करता हुआ दिखाई दिया।
दोनों व्यक्ति आपस में लड़ने लगे। पहले व्यक्ति ने गुस्से में दूसरे व्यक्ति से पूछना लगा कि वह कौन और क्यों उसकी पत्नी के साथ बैठकर बाते कर रहा है। फिर आपस में लड़ने लगे। दूसरे व्यक्ति ने कहा कि यह मेरी पत्नी है। दोनों की बीच भयानक लड़ाई होने लगी तब वहां पर कुछ सिपाही आ गए और स्त्री से उसके असली पति के बारे में पूछने लगे। दोनों व्यक्ति को देखकर स्त्री हैरान हो गई कि कौन मेरा पति है। वह दुविधा में पड़ गई क्योंकि दोनों एक जैसे ही लग रहे थे। तब पहला व्यक्ति परेशान होकर मन में कहा कि भगवान ये आपकी कैसी लीला है। तभी आकाशवाणी हुई की बुधवार के दिन पत्नी को विदा करवा कर नहीं ले जाना चाहिए था। यह सब सुनकर पहला व्यक्ति समझ गया की यह भगवान बुध की लीला है। फिर वह व्यक्ति बुद्धदेव से प्रार्थना करने लगा और क्षमा मांगने लगा। फिर फौरन ही बुद्धदेव अंतर्ध्यान हो गए और उस व्यक्ति को अपनी पत्नी मिल गई। तभी से हर दिन बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा होने लगी।