न्यूज रिपोर्टर नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है ज्योतिष शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है !पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त, चद्रोदय-चन्द्रास्त काल, तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त, योगकाल, करण, सूर्य-चंद्र के राशि, चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं!
🙏जय श्री कृष्णा🙏
“अथ – पंचांगम्”
*दिनाँक:- 09/06/2024, रविवार*
तृतीया, शुक्ल पक्ष,
ज्येष्ठ
“””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———– तृतीया 15:43:41 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——— पुनर्वसु 20:19:20
योग————- वृद्वि 17:19:19
करण—————गर 15:43:41
करण———– वणिज 27:53:41
वार———————– रविवार
माह————————- ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——- मिथुन 14:06:01
चन्द्र राशि——————- कर्क
सूर्य राशि—————— वृषभ
रितु————————-ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर——————– क्रोधी
संवत्सर (उत्तर) ————–कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————— 1946
कलि संवत—————– 5125
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:24:32
सूर्यास्त————— 19:12:43
दिन काल————–13:48:11
रात्री काल————- 10:11:48
चंद्रोदय—————- 07:39:15
चंद्रास्त—————- 22:08:53
लग्न—- वृषभ 24°28′ , 54°28′
सूर्य नक्षत्र—————– मृगशिरा
चन्द्र नक्षत्र—————– पुनर्वसु
नक्षत्र पाया——————- रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
को—- पुनर्वसु 07:55:16
हा—- पुनर्वसु 14:06:01
ही—- पुनर्वसु 20:19:20
हु—- पुष्य 26:35:16
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृषभ 24:10, मृगशिरा 1 वे
चन्द्र=मिथुन 25:30 , पुनर्वसु 2 को
बुध =वृषभ 17:53′ रोहिणी 3 वी
शु क्र= वृषभ 25°05, मृगशिरा ‘ 1 वे
मंगल=मेष 05°30 ‘ अश्विनी ‘ 2 चे
गुरु=वृषभ 09°30 कृतिका , 4 ए
शनि=कुम्भ 24°00 ‘ पू o भा o ,2 सो
राहू=(व) मीन 18°15 रेवती , 1 दे
केतु=(व) कन्या 18°15 हस्त , 3 ण
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 17:29 – 19:13 अशुभ
यम घंटा 12:19 – 14:02 अशुभ
गुली काल 15:46 – 17: 29अशुभ
अभिजित 11:51 – 12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 17:22 – 18:18 अशुभ
वर्ज्यम 07:55 – 09:34 अशुभ
प्रदोष 19:13 – 21:16 शुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:25 – 07:08 अशुभ
चर 07:08 – 08:52 शुभ
लाभ 08:52 – 10:35 शुभ
अमृत 10:35 – 12:19 शुभ
काल 12:19 – 14:02 अशुभ
शुभ 14:02 – 15:46 शुभ
रोग 15:46 – 17:29 अशुभ
उद्वेग 17:29 – 19:13 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 19:13 – 20:29 शुभ
अमृत 20:29 – 21:46 शुभ
चर 21:46 – 23:02 शुभ
रोग 23:02 – 24:19* अशुभ
काल 24:19* – 25:35* अशुभ
लाभ 25:35* – 26:52* शुभ
उद्वेग 26:52* – 28:08* अशुभ
शुभ 28:08* – 29:25* शुभ
💮होरा, दिन
सूर्य 05:25 – 06:34
शुक्र 06:34 – 07:43
बुध 07:43 – 08:52
चन्द्र 08:52 – 10:01
शनि 10:01 – 11:10
बृहस्पति 11:10 – 12:19
मंगल 12:19 – 13:28
सूर्य 13:28 – 14:37
शुक्र 14:37 – 15:46
बुध 15:46 – 16:55
चन्द्र 16:55 – 18:04
शनि 18:04 – 19:13
🚩होरा, रात
बृहस्पति 19:13 – 20:04
मंगल 20:04 – 20:55
सूर्य 20:55 – 21:46
शुक्र 21:46 – 22:37
बुध 22:37 – 23:28
चन्द्र 23:28 – 24:19
शनि 24:19* – 25:10
बृहस्पति 25:10* – 26:01
मंगल 26:01* – 26:52
सूर्य 26:52* – 27:43
शुक्र 27:43* – 28:34
बुध 28:34* – 29:25
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
वृषभ > 03:06 से 04:44 तक
मिथुन > 04:44 से 07:24 तक
कर्क > 07:24 से 09:12 तक
सिंह > 09:12 से 11:52 तक
कन्या > 11:52 से 14:02 तक
तुला > 14:02 से 16: 04 तक
वृश्चिक > 16:04 से 18:32 तक
धनु > 18:32 से 20:22 तक
मकर > 20:22 से 22:34 तक
कुम्भ > 22:34 से 12:54 तक
मीन > 12:54 से 02:24 तक
मेष > 02:24 से 03:02 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
3 + 1 + 1 = 5 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
सूर्य ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
3 + 3 + 5 = 11 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
रात्रि 27:59 से प्रारम्भ
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*सर्वार्थ सिद्धि योग 2019 से
*जo गुरु निंबरकाचार्य जी का 81 वा पाटोत्सव
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
राज्ञधर्मणि धर्मिष्ठाः पापे पापाः समे समाः ।
राजानमनुवर्तन्ते यथा राजा तथा प्रजाः ।।
।। चा o नी o।।
यदि राजा पुण्यात्मा है तो प्रजा भी वैसी ही होती है. यदि राजा पापी है तो प्रजा भी पापी. यदि वह सामान्य है तो प्रजा सामान्य. प्रजा के सामने राजा का उद्हारण होता है. और वो उसका अनुसरण करती है.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: आत्मसंयम योग अo-06
कच्चिन्नोभयविभ्रष्टश्छिन्नाभ्रमिव नश्यति ।,
अप्रतिष्ठो महाबाहो विमूढो ब्रह्मणः पथि ॥,
हे महाबाहो! क्या वह भगवत्प्राप्ति के मार्ग में मोहित और आश्रयरहित पुरुष छिन्न-भिन्न बादल की भाँति दोनों ओर से भ्रष्ट होकर नष्ट तो नहीं हो जाता?॥,38॥,
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष👉कष्ट, भय, चिंता तथा तनाव का वातावरण बन सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। वाणी पर नियंत्रण रखें। दूसरों के काम में हस्तक्षेप न करें। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। अपेक्षित कार्यों में विलंब होने से खिन्नता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। भागदौड़ रहेगी। जोखिम न लें।
🐂वृष👉आंखों को रोग व चोट से बचाएं। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। मनोरंजक यात्रा की आयोजना हो सकती है। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। मित्र व संबंधियों के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा। कारोबार मनोनुकूल रहेगा। जोखिम न लें।
👫मिथुन👉कोई ऐसा कार्य न करें जिससे अपमान हो। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। सुख के साधनों पर व्यय होगा। स्थायी संपत्ति में वृद्धि के योग हैं। प्रॉपर्टी के काम बड़ा लाभ दे सकते हैं। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में सुख-शांति रहेंगे। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें।
🦀कर्क👉कानूनी बाधा संभव है। हल्की हंसी-मजाक करने से बचें। विरोधी सक्रिय रहेंगे। धनहानि किसी भी तरह हो सकती है। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। लाभ में वृद्धि होगी।
🐅सिंह👉प्रेम-प्रसंग में हड़बड़ी न करें। विवाद हो सकता है। नकारात्मकता रहेगी। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। युवक व युवती विशेष सावधानी बरतें। विवाद को बढ़ावा न दें। स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। आय में निश्चितता रहेगी।
🙍♀️कन्या👉थकान व कमजोरी रह सकती है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। किसी धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति मनोनुकूल होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। सुख के साधनों की प्राप्ति हो सकती है। धन प्राप्ति सुगम होगी।
⚖️तुला👉संतान पक्ष से स्वास्थ्य तथा अध्ययन संबंधी चिंता रहेगी। नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। कार्यशैली में परिवर्तन करना पड़ सकता है। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड मनोनुकूल लाभ देंगे।
🦂वृश्चिक👉शत्रु शांत रहेंगे। धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। मित्रों का सहयोग मिलेगा। नए कार्य प्रारंभ करने की योजना बनेगी। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। भाग्य का साथ रहेगा।
🏹धनु👉कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर खर्च होगा। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। चिंता तथा तनाव में वृद्धि होगी। किसी अपरिचित व्यक्ति पर अंधविश्वास न करें। समय नेष्ट है। नकारात्मकता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी।
🐊मकर👉जल्दबाजी में कोई भी लेन-देन न करें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। फालतू खर्च होगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। सट्टे व लॉटरी के चक्कर में न पड़ें। नौकरी में अधिकार बढ़ेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा।
🍯कुंभ👉दुष्टजनों से सावधान रहें, हानि पहुंचा सकते हैं। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। कहीं से बुरी खबर मिल सकती है। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। आय बनी रहेगी। भाइयों का सहयोग मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। आज के काम कल पर नहीं टालें। विवेक का प्रयोग करें। लाभ होगा।
🐟मीन👉कम प्रयास से ही कार्यसिद्धि होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। मित्रों की सहायता कर पाएंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार लाभदायक रहेगा। शेयर मार्केट में सोच-समझकर निवेश करें। कष्ट, भय, चिंता तथा तनाव का वातावरण बन सकता है। कुसगंति से हानि होगी।
🙏आपका दिन मंलमय हो🙏
ऐसे करें सूर्य देव की पूजा और पढ़ें कथा
रविवार का दिन सूर्य देव की पूजा को समर्पित होता है. जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए रविवार का व्रत रखा जाता है. रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में भगवान सूर्य के अर्घ्यदान का विशेष महत्व बताया गया है. प्रतिदिन सुबह तांबे के लोटे में जल लेकर और उसमें लाल फूल, चावल डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. इस अर्घ्यदान से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं.
सूर्य पूजा में करें इन नियमों का पालन
सूर्योदय से पहले ही शुद्ध होकर, स्नान कर लें. स्नान के बाद सूर्यनारायण को तीन बार अर्घ्य देकर प्रणाम करें संध्या के समय फिर से सूर्य को अर्घ्य देकर प्रणाम करें सूर्य के मंत्रों का जाप श्रद्धापूर्वक करें.आदित्य हृदय का नियमित पाठ करें स्वास्थ्य लाभ की कामना, नेत्र रोग से बचने एवं अंधेपन से रक्षा के लिए ‘नेत्रोपनिषद्’ का प्रतिदिन पाठ करना चाहिए
रविवार को तेल, नमक खाने से बचें. एक समय ही भोजन करने की कोशिश करें.
रविवार व्रत कथा
कथा के अनुसार एक बुढ़िया थी, उसके जीवन का नियम था कि व प्रत्येक रविवार के दिन प्रात: स्नान कर, घर को गोबर से लीप कर शुद्ध करती थी इसके बाद वह भोजन तैयार करती थी, भगवान को भोग लगा कर स्वयं भोजन ग्रहण करती थी यह क्रिया वह लम्बें समय से करती चली आ रही थी ऐसा करने से उसका घर सभी धन-धान्य से परिपूर्ण था वह बुढ़िया अपने घर को शुद्ध करने के लिए पड़ोस में रहने वाली एक अन्य बुढ़िया की गाय का गोबर लाया करती थी जिस घर से वह बुढ़िया गोबर लाती थी, वह विचार करने लगी कि यह मेरे गाय का ही गोबर क्यों लेकर जाती है इसलिए वह अपनी गाय को घर के भीतर बांधने लगी बुढ़िया गोबर न मिलने से रविवार के दिन अपने घर को गोबर से लीप कर शुद्ध न कर सकी इसके कारण न तो उसने भोजन ही बनाया और न ही भोग ही लगाया इस प्रकार उसका उस दिन निराहार व्रत हो गया रात्रि होने पर वह भूखी ही सो गई रात्रि में भगवान सूर्य देव ने उसे स्वप्न में आकर इसका कारण पूछा वृ्द्धा ने जो कारण था वह बता दिया तब भगवान ने कहा कि माता तुम्हें सर्वकामना पूरक गाय देते हैं भगवान ने उसे वरदान में गाय दी, धन और पुत्र दिया और मोक्ष का वरदान देकर वे अन्तर्धान हो गएं. प्रात: बुढ़िया की आंख खुलने पर उसने आंगन में अति सुंदर गाय और बछड़ा पाया बुढ़िया प्रसन्न हो गई जब उसकी पड़ोसन ने घर के बाहर गाय बछडे़ को बंधे देखा, तो द्वेष से जल उठी साथ ही देखा, कि गाय ने सोने का गोबर किया है. उसने वह गोबर अपनी गाय के गोबर से बदल दिया रोज ही ऐसा करने से बुढ़िया को इसकी खबर भी न लगी. भगवान ने देखा, कि चालाक पड़ोसन बुढ़िया को ठग रही है, तो उन्होंने जोर की आंधी चला दी इससे बुढ़िया ने गाय को घर के अंदर बांध लिया सुबह होने पर उसने गाय के सोने के गोबर को देखा, तो उसके आश्चर्य की सीमा न रही अब वह गाय को भीतर ही बांधने लगी उधर पड़ोसन ने ईर्ष्या से राजा को शिकायत कर दी, कि बुढ़िया के पास राजाओं के योग्य गाय है,जो सोना देती है!राजा ने यह सुन अपने दूतों से गाय मंगवा ली बुढ़िया ने वियोग में अखंड व्रत रखा उधर राजा का सारा महल गाय के गोबर से भर गया सूर्य भगवान ने रात को राजा को सपने में गाय लौटाने को कहा प्रातः होते ही राजा ने ऐसा ही किया साथ ही पड़ोसन को उचित दंड दिया राजा ने सभी नगर वासियों को व्रत रखने का निर्देश दिया तब से सभी नगरवासी यह व्रत रखने लगे और वे खुशियों को प्राप्त हुए रविवार के व्रत के विषय में यह कहा जाता है कि इस व्रत को सूर्य अस्त के समय ही समाप्त किया जाता है अगर किसी कारणवश सूर्य अस्त हो जाए और व्रत करने वाला भोजन न कर पाए तो अगले दिन सूर्योदय तक उसे निराहार नहीं रहना चाहिए अगले दिन भी स्नानादि से निवृ्त होकर, सूर्य भगवान को जल देकर,उनका स्मरण करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए.