रितिक कुमार न्यूज रिपोर्टर
जिला जालौन
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40 साल में पहली बार वोट डालेंगे कदौरा में सड़क किनारे बसे लोहापीटा समाज के 24 लोग
उरई(जालौन)। कदौरा कस्बे में रहने वाला लोहापीटा 40 साल में पहली दफा वोट डालकर लोकसभा चुनाव 2024 का हिस्सा बनेंगे कदौरा में सड़क किनारे रहने वाले लोहापीटा समाज के 24 लोग। इससे पहले ऊक्त लोग पहचान पत्र न होने से वोट नहीं डाल पाते थे। अब पहचान पत्र मिलने और वोटर लिस्ट में नाम होने पर समाज के लोगों के आंसू छलक पड़े। लंबे अरसे से समाज की मुख्य धारा में जुड़ने का प्रयास लोहापीटा समाज के लोग कर रहे थे।
गौरतलब है की लोहापीटा परिवार वर्षो से कदौरा में सड़क के किनारे झोपड़ी डाल कर अपना जीवन यापन करते हुए दिखाई देते है। अभी तक उनका न तो राशन कार्ड होता है और न ही वोटर लिस्ट में नाम होने से वो लोग मतदान से वंचित रहते थे। इतना ही नहीं उक्त परिवार वालो को किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता था और वो लोग समाज से अलग थलग रहते थे। विगत कई वर्षों से उक्त लोग समाज की मुख्यधारा में जुड़ने के लिए प्रशासन से वोटर लिस्ट में नाम बढ़ाने का प्रयास कर रहे थे जिसमे उन्हे अब सफलता मिली है। आगामी 20 मई को जिले में होने वाले लोकसभा चुनाव में मतदान करने का अधिकार मिल गया है। लोहापीटा परिवार के सदस्य मंगल सिंह,करन,पार्वती, अंशू पूनम आदि लोगों ने बताया की वो लोग 40 वर्षो से नगर के किनारे सड़को पर रह कर जीवन यापन कर रहे है लेकिन अभी तक समाज के किसी वर्ग ने उनकी तरफ देखना मुनासिब नहीं समझा। चूंकि अब वो लोग भी मतदान में हिस्सा ले सकेंगे इसलिए सभी पार्टी के नेता उनके पास भी वोट मांगने आ रहे है और वो लोग अपनी समस्या उनको बता रहे है।
मुफलिसी दूर होने की उम्मीद जगी
उरई। कदौरा नगर के हाइवे के किनारे रहने वाले लोहा पीटा परिवार अभी तक मुफलिसी का जीवन जी रहे है लेकिन मतदान का अधिकार मिलने से उन्हे अपने समाज के विकास की उम्मीद जगी है। उक्त लोगों ने बताया की सड़क के किनारे झोपड़ी डाल कर रहने से उन्हे हमेशा हादसे का खतरा बना रहता है जो भी दल उनसे वोट मांगने आता है तो उनसे वो सरकारी जमीन का पट्टे की मांग कर रहे है।
बच्चों को शिक्षित करने का सपना
उरई । कस्बा कदौरा नगर की सड़क के किनारे रहने वाले लोहापीटा परिवार के सदस्यो ने बताया की सरकार को उनके बच्चो की शिक्षा पर भी गंभीरता से विचार करना चाहिए जिससे आगे चल कर उनके बच्चे शिक्षित समाज के भागीदार बन सके अभी बच्चो को स्कूल भेजने पर उन्हें हीन भावना से देखा जाता है।