राहुल गांधी कब होंगे परिपक्व:
रिपोर्ट समीर गुप्ता ब्यूरो चीफ पठानकोट पंजाब —
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और गांधी परिवार की विरासत को संभालने वाले राहुल गांधी 2004 से सक्रिय राजनीति में हैं। चार लोकसभा चुनाव लगातार जीत चुके हैं और मौजूदा समय वायनाड केरल से मेंबर पार्लियामेंट हैं। 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाली अमेठी और वायनाड से लड़ा था, पार्टी ने महसूस किया था कि अमेठी में जीत पाना मुश्किल रहेगा इसलिए समुदाय और जाति समीकरण के आधार पर राहुल ने वायनाड जैसी सेफ सीट को चुना था। अमेठी में उनको हार मिली थी और वायनाड से चुनाव जीते थे जिसकी मुख्य वजह हल्के में अल्पसंख्यक समुदाय की गिनती 51% के लगभग है और उनके द्वारा राहुल को भरपूर समर्थन मिला था। पिछले कुछ समय से विशेषकर जब राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी तो ऐसा लगने लगा कि शायद उनकी सोच में बदलाव हो रहा है और वे भाजपा को चुनौती दे पाएंगे। परन्तु अभी भी वे सही मुद्दों को उठाने के स्थान पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर टिप्पणी ज्यादा करते दिखाई देते हैं। उन्हें मंहगाई, बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर भाजपा को घेरना चाहिए परन्तु राहुल गांधी बेवजह अड़ानी, अंबानी पर निशाना साधते हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाते हैं कि वे अनुचित ढंग से इनकी मदद करते हैं । यदि उन्हें लगता है कि ऐसा हो रहा है तो सबूत स्थित उन्हें कोर्ट में जाना चाहिए , इस तरह की बयानबाज़ी से कांग्रेस को लगातार नुक़सान हो रहा है। इसके अलावा उनके वरिष्ठ सहयोगियों द्वारा सनातन धर्म को लेकर बेतुके बयान दिए जाते हैं इससे पार्टी की छवि हिंदू विरोधी बनती जा रही है। सभी जात धर्म का एक जैसा सम्मान होना चाहिए। राहुल को चाहिए जो नेता जाति और धर्म को लेकर बेतुकी बयानबाज़ी करते हैं उन्हें बिना देरी पार्टी से बाहर करें। इसके अलावा कांग्रेस ने कुछ ऐसे लोगों को लोकसभा टिकट दिया है जिन पर देश के विरुद्ध नारेबाजी करने , सुरक्षा बलों पर गलत आरोप लगाने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने का गंभीर आरोप है — ऐसा करना माना विनाश काले विपरीत बुद्धि। यदि ऐसा ही चलता रहा तो कांग्रेस और सिमटती जाएगी और एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष का होना भी जरूरी है — यह कांग्रेस को समझना चाहिए।