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सच्चाई की आवाज़ – विचार वाणी ट्री मैन त्रिमोहन मिश्रा

सच्चाई की आवाज़ – विचार वाणी ट्री मैन त्रिमोहन मिश्रा

सत्यार्थ न्यूज़ 
संवाददाता सोयत कला नगर

नगर में पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक संदेशवाहक “ट्री मैन” त्रिमोहन मिश्रा, जो अपनी विशेष मुहिम “ट्री मैन: द पावर ऑफ अर्थ” के लिए जाने जाते हैं, एक बार फिर लेकर आए हैं ऐसी पंक्तियां जो आत्मा को झकझोर देती हैं और सोचने पर मजबूर करती हैं, इन पंक्तियों में समाज के उन पहलुओं को उजागर किया गया है जिन पर हम अक्सर आंखें मूंद लेते हैं – प्रदूषण, बुजुर्गों की उपेक्षा, बच्चों में संस्कारों की कमी, अश्लीलता, सोशल मीडिया का दुरुपयोग, और पर्यावरण विनाश।

कुछ झकझोरने वाली पंक्तियां –
“जहां स्वच्छता होती है, उसे जंगल कहते हैं, जहां प्रदूषण फैला होता है उसे डेवलपमेंट कहते हैं, जानवर वो नहीं, जिनकी की हुई गंदगी से, मिट्टी वन जाती है ।…
जानवर.. तो वो हैं जिनकी गलती, प्रजाति सिर उठाती है”

पशु पक्षी और पूर्वज :
पूर्वजों को बाहर निकालना, कहां की इंसाफी है।
जानवरों को मार डालना, इसमें क्या शाबाशी है।।
मां को मारा बाप को मारा, ये होता है इंसान।
छोड़ दिया वृद्धाश्रम, ढूंढते हो भगवान ।।
झूठी अगर तारीफ करे, तो सब अच्छा लगता है।
समझाने की बात करे तो, बुरा लगने लगता है।।
समझाने वाला मिनिट बड़ा हो, सुन लो उसकी बात।
नहीं सुनोगे अगर तुम, खा जाओगे मात।।
बैठ बैठ कर बुजुर्गों में, मैने समय बिताया है ।
तुमको कैसे समझाऊं में, क्या क्या मुझे समझाया है ।।
संस्कारों की कमी :
अश्लीलता की हदों ने, मानसिकता को बहकाया है ।
फिर कहते ये क्या हुआ, दंगा फसाद कराया है ।।
इसको काटा उसको मारा, झेलोगे खुद यार ।
नहीं करोगे सही उपयोग, सोशल का तुम यार ।।
सोशल का उपयोग गलत, करोगे इस संसार में ।
नहीं मिलेगा ज्ञान सही, इस सांसारिक संसार में ।।
फिर कहते मन नहीं लगता, इस मतलबी संसार में ।
डिप्रेशन की बीमारी लागी, भटकते संसार में।।
अभिभावकों और शिक्षकों को समर्पित :
बच्चों को अभिभावक तुमने, खुद ही सिर चढ़ाया है ।
फिर बोलते नंबर कम हैं, क्या टीचर ने सिखाया है।।
मोबाइल अगर आपका, तो दायरा हटा उम्र का ।
छोटी उम्र और लिया, तजुर्बा बड़ी सौगात का ।।
जरूरत मोबाइल की, तभी बैटरी है लो ।
वो सब सीखा इसने, अब तुम भी झेलो ।।
यही बनेगा कातिल, यही बनेगा बलात्कारी ।
नासमझी की उम्र में, अश्लीलता सीखी सारी ।।
एक सीख फिर दूजे को, ये है मानव रीत ।
अच्छी सीख तरक्की दे, गंदी सोच भीख ।।
जीव जंतुओं के आवास और ऑक्सीजन :
जंगल काटे हमने अपने, निवास के लिए ।
फिर जानवरों को काटा, अपने स्वाद के लिए ।।
शिकारी बनकर हमने, लाचारों पर प्रहार किया ।
फर्नीचर की सजावट में, पेड़ों को मार दिया ।।
जानवरों के अंगों की, तुम तस्करी करते हो ।
फिर लालच के कारण, जलकर खुद मरते हो ।।
अगर तुम्हारी संतानों की, यही दुर्दशा होती ।
जब तुम्हारी अम्मा दादी, विलख विलख के रोती।।
खूंखार जानवर किसी दिन, आ जाए आपके द्वार ।
डर जाती है मानव जाति, इसको मारो यार ।।
पेड़ों की क्या गलती है, इनका करो सम्मान।
धरती मां को दुख पहुंचा कर, कैसे हुए महान।।
प्रकृति के हर जीव को, पूजा और संवारा है ।
ईश्वर का स्वरूप बताकर, पूर्वजों ने संवारा है ।।
यातायात के लिए भी कहूंगा :
यातायात के नियम को, तुमने गले लगाया है।
उसी ने इस संसार में, जीवन लम्बा पाया है ।।
एक नहीं है जाती जान, यातायात नियम तोड़ने से ।
हीरोपंती निकल जाती है, स्पीड में दौड़ने से ।।
अगर चलोगे सुरक्षा से, बची रहेगी आपकी जान ।
पुलिस नहीं आपकी दुश्मन, इनसे है आपकी जान ।।
अगर “ट्री मैन” होता काल्की, या होता वकील ।
90% जेल में, तब आता सबको फील ।।
“ट्री मैन” का संदेश :
“अगर इस संदेश को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना है,
खाओ कसम धरती मां की, पर्यावरण बचाना है!”
निवेदन:
इन पंक्तियों को लेकर बनाए जाएं रील्स, शॉर्ट फिल्म्स, स्कूल प्रोग्राम्स, नुक्कड़ नाटक और सोशल मीडिया कैंपेन — ताकि यह मुहिम बने जन-जन की आवाज़।
“ट्री मैन” त्रिमोहन मिश्रा का यह प्रयास केवल कविता नहीं, एक क्रांति की पुकार है।
जय हिंद, जय भारत! भारत माता की जय!
( करते रहेंगे जागरूक “ट्री मैन” त्रिमोहन मिश्रा )

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