सवांददाता नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है। शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है। पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त,चद्रोदय-चन्द्रास्त काल,तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त योगकाल,करण,सूर्य-चंद्र के राशि,चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं।
🙏जय श्री गणेशाय नमः🙏
🙏जय श्री कृष्णा🙏
🙏जय सियाराम 🙏
आज का पंचांग
सम्वत :- 2081
मास :- कार्तिक
तिथि :- पूर्णिमा
पक्ष :- शुक्ल पक्ष
नक्षत्र :- भरणी 09:55 पी एम नक्षत्र स्वामी शुक्र
वार :- शुक्रवार
पंचक :- नहीं
चंद्र :- मेष
सूर्य :- तुला
अभिजीत मूहर्त :- 11:58 ए एम से 12:41 पी एम
राहुकाल :- 10:58 ए एम से 12:19 पी एम
दिशाशूल :- पश्चिम
आज का विशेष :- देव दीपावली,कार्तिक पूर्णिमा
चोघडिया, दिन
चर 06:59 – 08:20 शुभ
लाभ 08:20 – 09:41 शुभ
अमृत 09:41 – 11:01 शुभ
काल 11:01 – 12:21 अशुभ
शुभ 12:21 – 13:42 शुभ
रोग 13:42 – 15:02 अशुभ
उद्वेग 15:02 – 16:22 अशुभ
चर 16:22 – 17:43 शुभ
चोघडिया, रात
रोग 17:43 – 19:23 अशुभ
काल 19:23 – 21:02 अशुभ
लाभ 21:02 – 22:42 शुभ
उद्वेग 22:42 – 24:22* अशुभ
शुभ 24:22* – 26:01* शुभ
अमृत 26:01* – 27:41* शुभ
चर 27:41* – 29:21* शुभ
रोग 29:21* – 31:01* अशुभ
(*) समय आधी रात के बाद, लेकिन अगले दिन के सूर्योदय से पहले.
आज का राशिफल
मेष राशि :- आज का दिन व्यस्तता पूर्ण रहेगा,दूसरों के निजी मामलों में दखल देना बंद करें,अन्यथा परेशानी आ सकती है।आर्थिक स्थिति कमजोर रहेगी,विवाह प्रस्ताव सफल रहेंगे।
वृषभ राशि :- आज लंबे समय से चल रहा पारिवारिक विवाद समाप्त होगा,मित्रों की सहायता से कार्य पूरे होंगे।जमीन जायदाद से जुड़े मामलों में सफलता मिलेगी।
मिथुन राशि :- आज पारिवारिक मांगलिक आयोजनों में सहभागिता करेंगे,मांगलिक कार्यों में आ रही परेशानी दूर होगी।किसी से विवाद न करें,संतान द्वारा किसी बड़े नुकसान की आशंका है।
कर्क राशि :- आज निजी जीवन में तनाव रहेगा,अज्ञात भय सताएगा।धन प्राप्ति के लिए प्रयास अधिक करना पड़ेगा।दूसरों के झंझटों में न पड़ें।स्वयं को अकेला महसूस करेंगे।
सिंह राशि :- आज व्यापार में ध्यान दें वर्ना हानि संभव है।शारीरिक कष्ट रहेगा।यात्रा-निवेश सफल रहेगा।धन प्राप्ति सुगम होगी,जोखिम न लें।कर्ज से मुक्ति मिलने में अभी समय है।
कन्या राशि :- सामाजिक आयोजनों में शामिल होंगे।आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा बनेगी।प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी।मनमानी से हानि संभव है।व्यर्थ खर्च होगा।विवाद से क्लेश संभव है।
तुला राशि :- आप जिसे अपना मान रहे हैं,वही आप को धोखा दे सकता है।इसलिए संभलकर रहें।राजकीय कोप से हानि होगी,सावधान रहें।रूका हुआ धन मिलेगा।भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे।परिवार की चिंता रहेगी।
वृश्चिक राशि :- व्यावसायिक नई योजना बनेगी,जो बहुत जल्द लागू होगी।कार्यप्रणाली में बदलाव संभव है।धन प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे।शत्रु सक्रिय रहेंगे।नए राजनेताओं से संबंध बनेंगे पर आपके अपने आप को आगे बढ़ने से रोकेंगे।
धनु राशि :- आपकी मेहनत रंग लाएगी।आप यदि अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें और हर परिस्थिति में संयमित रहें तो आपको आगे बढ़ने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती।बाहरी सहयोग मिलेगा।यात्रा होगी।धन प्राप्ति सुगम होगी।
मकर राशि :- मानसिक क्लेश के कारण स्वास्थ्य में गिरावट आएगी।परिजनों का साथ न मिलने से क्रोधित होंगे।दुष्टजनों से दूर रहें,हानि पहुंचाएंगे।शरीर सुस्त रहेगा।प्रेम प्रसंग में सफलता मिलेगी।
कुंभ राशि :- आपके आत्मविश्वास में बहुत कमी है।संतान के कारण प्रतिष्ठा को ठेस पहुंच सकती है।नए लोगों से व्यवहार में सावधानी रखें।शत्रु सक्रिय रहेंगे।पुराने मित्र से भेंट संभव है।
मीन राशि :- आज आप बोलने में जरा सावधानी रखें।विवादों को बढ़ावा न दें।संपत्ति के कार्य लाभ देंगे।शत्रु शांत रहेंगे।भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे।स्वास्थ्य का ध्यान रखे।
🌹🙏जय सियाराम 🙏🌹
“कार्तिक पूर्णिमा”
कार्तिक पूर्णिमा को कई जगह देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने तारकाक्ष,कमलाक्ष व विद्युन्माली के त्रिपुरों का नाश किया था। त्रिपुरों का नाश करने के कारण ही भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी भी प्रसिद्ध है। इस दिन गंगा-स्नान तथा सायंकाल दीपदान का विशेष महत्त्व है। इसी पूर्णिमा के भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। कार्तिक माह में लोग गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान आदि करते हैं। कार्तिक महीने के दौरान गंगा में स्नान करने की शुरुआत शरद पूर्णिमा के दिन से होती है और कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त होती है। कार्तिक पूर्णिमा उत्सव पांच दिनों तक चलता है।
“कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा”
दैत्य तारकासुर के तीन पुत्र थे–तारकाक्ष,कमलाक्ष व विद्युन्माली जब भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया तो उसके पुत्रों को बहुत दुःख हुआ। उन्होंने देवताओं से बदला लेने के लिए घोर तपस्या कर ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया। (श्रीजी की चरण सेवा” की सभी धार्मिक, आध्यात्मिक एवं धारावाहिक पोस्टों के लिये हमारे पेज से जुड़े रहें) जब ब्रह्माजी प्रकट हुए तो उन्होंने अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन ब्रह्माजी ने उन्हें इसके अलावा कोई दूसरा वरदान माँगने के लिए कहा। तब उन तीनों ने ब्रह्माजी से कहा कि,आप हमारे लिए तीन नगरों का निर्माण करवाईए। हम इन नगरों में बैठकर सारी पृथ्वी पर आकाश मार्ग से घूमते रहें। एक हजार साल बाद हम एक जगह मिलें। उस समय जब हमारे तीनों पुर (नगर) मिलकर एक हो जायें,तो जो देवता उन्हें एक ही बाण से नष्ट कर सके,वही हमारी मृत्यु का कारण हो। ब्रह्माजी ने उन्हें ये वरदान दे दिया। ब्रह्माजी का वरदान पाकर तारकाक्ष,कमलाक्ष व विद्युन्माली बहुत प्रसन्न हुए। ब्रह्माजी के कहने पर मयदानव ने उनके लिए तीन नगरों का निर्माण किया। उनमें से एक सोने का,एक चाँदी का व एक लोहे का था। सोने का नगर तारकाक्ष का था,चाँदी का कमलाक्ष का व लोहे का विद्युन्माली का। अपने पराक्रम से इन तीनों ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया। इन दैत्यों से घबराकर इंद्र आदि सभी देवता भगवान शंकर की शरण में गए। देवताओं की बात सुनकर भगवान शिव त्रिपुरों का नाश करने के लिए तैयार हो गए। विश्वकर्मा ने भगवान शिव के लिए एक दिव्य रथ का निर्माण किया। चंद्रमा व सूर्य उसके पहिए बने,इंद्र,वरुण,यम और कुबेर आदि लोकपाल उस रथ के घोड़े बने। हिमालय धनुष बने और शेषनाग उसकी प्रत्यंचा। स्वयं भगवान विष्णु बाण तथा अग्निदेव उसकी नोक बने। उस दिव्य रथ पर सवार होकर जब भगवान शिव त्रिपुरों का नाश करने के लिए चले तो दैत्यों में हा-हाकर मच गया। दैत्यों व देवताओं में भयंकर युद्ध छिड़ गया। जैसे ही त्रिपुर एक सीध में आए भगवान शिव ने दिव्य बाण चलाकर उनका नाश कर दिया। त्रिपुरों का नाश होते ही सभी देवता भगवान शिव की जय-जयकार करने लगे। त्रिपुरों का अंत करने के लिए ही भगवान शिव को त्रिपुरारी भी कहते हैं।
“कार्तिक पूर्णिमा विधि”
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ करने से सांसारिक पाप और ताप का शमन होता है। अन्न, धन एव वस्त्र दान का बहुत महत्व बताया गया है इस दिन जो भी आप दान करते हैं उसका आपको कई गुणा लाभ मिलता है। मान्यता यह भी है कि आप जो कुछ आज दान करते हैं वह आपके लिए स्वर्ग में सरक्षित रहता है जो मृत्यु लोक त्यागने के बाद स्वर्ग में आपको प्राप्त होता है। शास्त्रों में वर्णित है कि कार्तिक पुर्णिमा के दिन पवित्र नदी व सरोवर एवं धर्म स्थान में जैसे,गंगा, यमुना,गोदावरी,नर्मदा गंडक,कुरूक्षेत्र,अयोध्या,काशी में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। महर्षि अंगिरा ने स्नान के प्रसंग में लिखा है कि यदि स्नान में कुशा और दान करते समय हाथ में जल व जप करते समय संख्या का संकल्प नहीं किया जाए तो कर्म फल की प्राप्ति नहीं होती है। शास्त्र के नियमों का पालन करते हुए इस दिन स्नान करते समय पहले हाथ पैर धो लें फिर आचमन करके हाथ में कुशा लेकर स्नान करें, इसी प्रकार दान देते समय में हाथ में जल लेकर दान करें। आप यज्ञ और जप कर रहे हैं तो पहले संख्या का संकल्प कर लें फिर जप और यज्ञादि कर्म करें। कार्तिक पूर्णिमा का दिन सिख सम्प्रदाय के लोगों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन सिख सम्प्रदाय के संस्थापक गुरू नानक देव का जन्म हुआ था। सिख सम्प्रदाय को मानने वाले सुबह स्नान कर गुरूद्वारों में जाकर गुरूवाणी सुनते हैं और नानक जी के बताये रास्ते पर चलने की सौगंध लेते है।