महाराष्ट्र में आज नामांकन का आखिरी दिन, महायुति ने 9 तो MVA ने 21 सीटों पर अब तक नहीं उतारे उम्मीदवार
संवाददाता विशाल लील की रिपोर्ट
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 29 अक्टूबर है, लेकिन महा विकास अघाड़ी (MVA) और महायुति (Mahayuti) गठबंधन सभी 288 सीटों के लिए अब भी उम्मीदवारों का ऐलान नहीं कर सके हैं. बता दें कि महायुति में बीजेपी, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की गुट की एनसीपी के अलावा कुछ छोटे स्थानीय दल शामिल हैं. वहीं महा विकास अघाड़ी में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना और शरद पवार गुट की एनसीपी के अलावा अन्य छोटे दल शामिल हैं. महायुति के सहयोगियों बीजेपी और शिवसेना ने सोमवार को क्रमश: 25 और 13 प्रत्याशियों की अपनी तीसरी सूची जारी की.
वहीं 6 सीटों पर महायुति के अन्य सहयोगियों ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया. महायुति ने अब तक 288 में से 279 सीटों पर कैंडिडेट उतार दिए हैं. इनमें से 146 पर बीजेपी, 78 पर शिवसेना, 49 पर अजित पवार की एनसीपी और 6 सीटों पर अन्य सहयोगी चुनाव लड़ रहे हैं. इसमें रामदास अठावले के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) कलिना से उम्मीदवार उतारेगी, युवा स्वाभिमान पार्टी बडनेरा से चुनाव लड़ेगी, राष्ट्रीय समाज पार्टी गंगाखेड़ से और जन सुराज्य शक्ति पार्टी शाहुवाड़ी से, जनसुराज्य पक्ष हाथकणंगले और राजश्री शाहुविकास अघाड़ी शिरोल से चुनाव लड़ेगी. महायुति को अभी 9 और सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान करना बाकी रह गया है.
<strong>एमवीए ने अब तक 265 सीटों पर उतारे हैं उम्मीदवार</strong>
वहीं महा विकास अघाड़ी में शामिल शरद गुट की एनसीपी ने सोमवार को 6 उम्मीदवारों की अपनी चौथी सूची जारी की. कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी ने पहले ही क्रमश: 102 और 84 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है, जबकि शरद गुट की एनसीपी ने 82 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. इस तरह एमवीए ने अब तक 265 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. उसे अभी 21 और सीटों के लिए प्रत्याशियों का ऐलान करना बाकी रह गया है. शरद गुट ने नागपुर की काटोल सीट पर अपना प्रत्याशी बदल दिया है. यहां से महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को पहले टिकट मिला था, लेकिन शरद गुट ने सोमवार को उनका नाम हटाते हुए उनके बेटे सलील देशमुख को काटोल से अपना उम्मीदवार नामित किया.
वहीं कांग्रेस पार्टी ने कोल्हापुर से अपना उम्मीदवार बदल दिया. पहले इस सीट से राजेश लाटकर को टिकट मिला था, लेकिन अब उनकी जगह मधुरिमाराजे छत्रपति कोल्हापुर से कांग्रेस की उम्मीदवार होंगी. एमवीए साझेदारों के बीच विधानसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग सहमति बनाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, जो लोकसभा चुनाव में अपनी सफलता को दोहराने की कोशिश कर रहे हैं, जब उन्होंने महाराष्ट्र की 48 में से 30 सीटें जीती थीं. शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने सोलापुर (दक्षिण) से उम्मीदवार खड़ा करने के खिलाफ कांग्रेस को आगाह किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ऐसा करती है तो अन्य सहयोगी भी उसके दावे वाली सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा कर सकते हैं और इससे एमवीए में समस्याएं पैदा होंगी.
<strong>दो या तीन सीटों पर अंत तक चर्चा होगी: संजय राउत</strong>
उन्होंने पहले भी सीट-बंटवारे के मुद्दे पर मतभेदों को सुलझाने के लिए एमवीए में ‘सबका साथ, सबका विकास’ की आवश्यकता पर जोर दिया था. चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश करने को लेकर भी एमवीए के घटक दलों के बीच मतभेद है. जहां शिवसेना (यूबीटी) इसका पुरजोर समर्थन कर रही है, वहीं कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ऐसे किसी भी कदम के पक्ष में नहीं हैं. महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 अक्टूबर है. नतीजे 23 नवंबर को घोषित होंगे. संजय राउत ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘चाहे वह महा विकास अघाड़ी में हो या महायुति में, तीन बड़ी पार्टियां चुनाव लड़ रही हैं और दो या तीन सीटों पर अंत तक चर्चा होगी.’
क्या एमवीए के घटक दल समाजवादी पार्टी की मांगों पर सहमत होंगे और इंडिया ब्लॉक की कुछ अन्य पार्टियों के साथ सीटें साझा करने की गुंजाइश के बारे में अब भी अस्पष्टता बनी हुई है. समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने पहले कहा था कि वह नहीं चाहते कि राज्य में धर्मनिरपेक्ष वोटों का बंटवारा हो और अब भी सीट बंटवारे पर महा विकास अघाड़ी (MVA) की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं. मुंबई और विदर्भ में सीट बंटवारे को लेकर शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के बीच मतभेद सामने आए हैं. सूत्रों के मुताबिक अगर मतभेद नहीं सुलझे तो एमवीए के घटक दलों द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों के खिलाफ टिकट की चाह रखने वाले नेता विद्रोह करके निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं.
<strong>उद्धव सेना के उम्मीदवार ने वापस लिया अपना नाम</strong>
कांग्रेस को आंतरिक परेशानियों का सामना करना पड़ा है. पार्टी को अंधेरी (पश्चिम) सीट पर भी अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा है, जहां उसने सचिन सावंत को मैदान में उतारा था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. अब पार्टी ने यहां से पूर्व विधायक अशोक जाधव को टिकट दिया है. इसी तरह कांग्रेस ने औरंगाबाद पूर्व सीट से मधुकर देशमुख को मैदान में उतारा था, लेकिन अब उनकी जगह लहू शेवाले चुनाव लड़ेंगे. संभाजीनगर सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-यूबीटी के उम्मीदवार किशनचंद तनवानी ने अपना नामांकन वापस ले लिया है. तनवानी ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए अपने समर्थन की घोषणा की. अब शिवसेना यूबीटी को इस सीट पर दूसरा उम्मीदवार उतारना होगा.
इसके विपरीत ऐसा प्रतीत होता है कि सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन अंदरुनी कलह को अच्छी तरह से मैनेज कर रहा है. भाजपा ने अपने कोटे की चार सीटें स्थानीय छोटे दलों को दिया है, जबकि शिवसेना ने अपने कोटे की 2 सीटें छोटे दलों को दी हैं. ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा शिवसेना और एनसीपी के कुछ उम्मीदवारों को अपने सिंबल पर चुनाव लड़ा सकती है. इस बीच सोमवार को अजित पवार ने बारामती सीट से अपना नामांकन दाखिल किया, जहां से वह सात बार के विधायक हैं. उनके खिलाफ शरद पवार गुट की एनसीपी ने युगेंद्र पवार को मैदान में उतारा है. युगेंद्र रिश्ते में अजित पवार के भतीजे लगेंगे. वह उनके छोटे भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं. वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ठाणे की कोपरी पाचपाखाड़ी सीट पर नामांकन दाखिल किया. वह यहां से चार बार के विधायक हैं. उनके खिलाफ उद्धव गुट की शिवसेना ने आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को मैदान में उतारा है.