शिवम सिंह
उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने की घोषणा:हरि प्रकाश सिंह
बांदा।रीवा के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के आडिटोरियम का नाम पहले पत्रकार लाल बलदेव सिंह के नाम से जाना जायेगा।भारत भ्राता मध्यप्रदेश के रीवा राज्य से प्रकाशित होने वाला पहला समाचारपत्र था।यह समाचारपत्र लाल बलदेव सिंह ने प्रकाशित किया था,रीवा सरकार ने वर्ष 1902 में इस अखबार को खरीद लिया था।लाल बलदेव सिंह वर्ष 1887 में प्रिंटिंग प्रेस कलकत्ता से खरीदकर रीवा लाए थे,उस समय रीवा राज्य देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक था। इसलिए इस अखबार का प्रकाशन चुनौतियों से भरा था,भारत भ्राता का प्रकाशन अप्रैल 1887 से 1902 तक अनवरत जारी रहा,यह अखबार क्षेत्रीय नहीं बल्कि वैश्विक था। जिसमें से ब्रिटेन में भारत को लेकर लिए जाने वाले फैसलों की समालोचना भी छपती थी।भारत भ्राता प्रेस बाद में दरबार प्रेस के नाम से जाना गया।अब इसे शासकीय प्रेस कहां जाता है जो रीवा के जयस्तंभ चौक के पास स्थित है।जय स्तंभ चौक में जब पूर्व मुख्यमंत्री मप्र शिवराज सिंह चौहान ने नेशनल प्रेस की स्ट्रीट बिल्डिंग का शिलान्यास किया था।तब रीवा के लाडले विधायक वर्तमान में मप्र सरकार के चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री व उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने अपने उद्बोधन में कहा था कि नई पीढ़ी को शायद ही यह आश्चर्यजनक हो कि इस परिसर के साथ पत्रकारिता जगत का यशस्वी इतिहास भी है।रीमा राज्य के सेनापति लाल बलदेव सिंह,देवराज नगर घराना ने रीवा का सबसे पहला प्रिंटिंग प्रेस स्थापित किया।और भारत भ्राता,नामक अखबार का प्रकाशन शुरू किया। भारत भ्राता का रीवा से प्रकाशन हिन्दी पत्रकारिता जगत की ऐतिहासिक घटना थी।अपनी राष्ट्रवादी सोच और ओजस्वी मजदूरों के साथ यह देश का पहला राजनीति समाचारपत्र कहां गया है।महान संपादक धर्मवीर भारती ने धर्मयुग में लिखा था कि आने वाली पीढ़ी शायद ही विश्वास करे कि रीवा जैसी छोटी जगह से इतनी तेजगति से और यशस्वी अखबार को एक सेनापति ने प्रकाशित किया।जिसने देश की राजनीतिक आजादी को जागृत कर दिया। भारत भ्राता का प्रकाशन अप्रैल 1887 से 1902 तक जारी रहा,उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय रीवा में 20/9/ 2024 को आयोजित कार्यक्रम में आडिटोरियम का नाम पत्रकारिता के पितृ पुरूष लाल बलदेव सिंह के नाम करने की घोषणा की।