लेटरल एंट्री : चुनाव से पहले विपक्ष को मिला आरक्षण का मुद्दा।
चार राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार के लेटरल एंट्री के निर्णय ने विपक्ष को बड़ा मुद्दा दे दिया है। विपक्ष ने इसे आरक्षण से जोड़ते हुए सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार लेटरल एंट्री के जरिए दलित, आदिवासी व पिछड़े वर्गों का अधिकार छीन रही है। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान संविधान बड़ा मुद्दा बनकर उभरा था।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित सभी विपक्षी नेता इस मुद्दे पर मुखर हैं। विपक्ष लेटरल एंट्री को सरकार की आरक्षण खत्म करने की मंशा से जोड़ रहा है। विपक्ष का कहना है कि लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती आरक्षण को छीनकर संविधान को बदलने का भाजपाई चक्रव्यूह रचा जा रहा है। खरगे ने कहा कि लेटरल एंट्री का प्रावधान संविधान पर हमला है क्योंकि, सरकारी महकमों में रिक्तियां भरने के बजाए बीते 10 वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकार के हिस्सों को बेच-बेच कर 5.1 लाख पद भाजपा ने खत्म किए हैं। इस तरह एससी, एसटी व ओबीसी के 2022-23 तक एक लाख 30 हजार पद कम हुए हैं।