• मथुरा के तेली पाड़ा क्षेत्र के 11 मकानों में आई दरारें, दहशत में लोग..
मथुरा के तेली पाड़ा क्षेत्र के 11 मकानों में आई दरारें, दहशत में लोग…रहने में भी लग रहा डरमथुरा के तेली पाड़ा क्षेत्र के 11 मकानों में आई दरारों से लोगों में दहशत है। घरों में रात गुजारने में भी लोगों को डर लग रहा है। मथुरा नगर निगम की वार्ड 58 में टीलों पर बसीं घनी बस्ती के लोग इन दिनों दहशत में है। यहां 11 मकानों में दरारें आ गईं हैं। पिछले दिनों एक मकान धराशायी हो गया है। एक दशक से विकास कार्य से अछूते रहे ऊंचे टीलों वाली बस्तियों में कच्ची नालियों के कारण मकानों की नींव कमजोर हो रही हैं। निगम के अधिकारी इस वार्ड की अनदेखी कर रहे हैं। ठेकेदार भी ऊंची और सकरी गलियां होने के कारण विकास कार्य के लिए आगे नहीं आ रहे हैंनगर निगम के वार्ड 58 के तेली पाड़ा, अंबरीश टीला, लक्ष्मी गली में एक दर्जन से अधिक मकानों में दरारें आ रही है। तेली पाड़ा निवासी बनवारी, राकेश, मोहन कपड़ा, ओमी सोनी, ऊषा अग्रवाल, राजेश माहौर, राकेश, लक्ष्मी गली में रिषी सिंह, भूरीमल, राहुल सिंह, भोला पंडित ने बताया कि उनके मकानों में दरारें आ रही हैं। मकान की नींव से लेकर दो और तीन मंजिल तक दीवारों में दरारें आ गई हैं। अंबरीश टीला क्षेत्र की संकरी गली में दस दिन पहले ऊषा देवी का पुराना मकान धराशायी हो गया। गनीमत यह रही बारिश के दौरान गिरे मकान से किसी के चोट नहीं आई।इससे पहले माहौर बगीची के समीप एक महिला का मकान भरभरा का गिर गया था। जिसका मलवा बगीची में पड़ा है। इसके अलावा माया टीला हाथी टीला, गऊ घाट पर मकानों में आ रही दरारें और पुराने जर्जर हो चुके गिरासू मकानों के गिरने का हर पल लोगों को भय बना रहता है। तेली पाड़ा में भवन स्वामियों द्वारा मकानों में आ रही दरारों को भरने का कार्य कराया जा रहा है। भवन स्वामियों ने दरारों के बड़ी होने की जानकारी पाने के लिए दरारों पर कागज की चिट चिपका दी है ताकि दीवारों में आई दरारों के बड़े होने पर चिट के बीच से फट जाने से दरार बड़ी होने की जानकारी भवन स्वामियों को हो सके।पार्षद नीलम गोयल ने बताया कि यहां गलियां ऊंची होने के साथ ही संकरी हैं और सीढ़ियों के रूप में बनी हुई। ठेकेदारों के द्वारा यहां के टेंडर नहीं लिए जाते क्यों कि टेंडर कम धनराशि पर उठते हैं। ऊंचाई पर पहुंचाने में अधिक धनराशि खर्च होती है। यहां केवल कोटेशन के आधार पर ही कार्य हो सकते हैं। पूर्व के कामों में सड़कें तो बनीं लेकिन नालियां नहीं बनीं। नालियां कच्ची होने के कारण घरों के नींव कमजोर हो रही हैं और मकानों में दरारें आ रही हैं।रामनाथ ने बताया कि माया टीला, अंबरीश टीला सहित आसपास के क्षेत्र में पिछले एक दशक से अधिक समय से विकास कार्य नहीं हुए। न ही गलियां बनीं और ना ही नालियों का निर्माण हुआ। नालियों का पानी गलियों में बह रहा है, जिसे गलियों में फिसलन हो गई हैं। नालियों का पानी घरों और उनकी नींव में जा रहा है। निगम में कई बार शिकायत के बाद भी कोई देखने तक नहीं आया। राजेश माहौर का कहना है कि माहौर बगीची और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी नालियों का दूषित पानी की निकासी सुदृढ नहीं है। नाली की लगभग 40 साल से बनना तो दूर मरम्मत तक नहीं हुई। सीवर के मेनहोल भी जगह-जगह टूटे हैं। गलियों में गडढ़े हैं। इससे रहना दुश्वार हो रहा है।राघव गोयल ने बताया कि तेलीपाड़ा में नउ मकानों में भी भी दरारें आ रही हैं। पिछले दिनों मकान की दरारें भरवाई थी, लेकिन फिर से दो मंजिला तक दरारें आ रहीं है। मकान कमजोर हो रहे हैं। अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।