पीरियड में रखे सेहत का ध्यान गंदे कपड़े का ना करें इस्तेमाल
सही नियम कियाम को अपनाओ संक्रामक बीमारी को दूर भगाओ
कराहल संबाददाता अमित शर्मा
श्योपुर जिले कराहल में महिला बाल विकास एवं महात्मा गांधी सेवा आश्रम के सहयोग से संचालित पोषण समृद्धि ग्राम परियोजना के स्वच्छता महामारी दिवस की उपलक्ष में आज गांव-गांव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के अर्चना शर्मा सपना आदिवासी रानीपुरा माफी कूसम जोगी माध्यम से किशोरी बालिकाओं भाव महिलाओं को महामारी के बारे में जानकारी प्रदान की गई अमित शर्मा ने बताया मासिक धर्म एक ऐसी घटना है जो सिर्फ़ लड़कियों में ही होती है। किशोरावस्था के दौरान लड़कियों में होने वाले सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तनों में से एक है मासिक धर्म की शुरुआत। पहला मासिक धर्म (मेनार्चे) 11 से 15 साल की उम्र के बीच होता है, जिसका औसत 13 साल होता है।किशोर लड़कियाँ एक असुरक्षित समूह हैं, खास तौर पर भारत में जहाँ लड़कियों की उपेक्षा की जाती है। भारतीय समाज में मासिक धर्म को अभी भी कुछ गंदा या अशुद्ध माना जाता है। मासिक धर्म के प्रति प्रतिक्रिया इस विषय के बारे में जागरूकता और ज्ञान पर निर्भर करती है। जिस तरह से एक लड़की मासिक धर्म और उससे जुड़े बदलावों के बारे में जानती है, उसका मासिक धर्म की घटना के प्रति उसकी प्रतिक्रिया पर प्रभाव पड़ सकता है। हालाँकि मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन यह कई गलत धारणाओं और प्रथाओं से जुड़ी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप कभी-कभी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।मासिक धर्म के दौरान महिलाओं की स्वच्छता संबंधी आदतें काफी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि प्रजनन पथ के संक्रमण (आरटीआई) के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि के संदर्भ में इसका स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। सामाजिक-आर्थिक स्थिति, मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं और आरटीआई का परस्पर संबंध ध्यान देने योग्य है। आज लाखों महिलाएं आरटीआई और इसकी जटिलताओं से पीड़ित हैं और अक्सर यह संक्रमण गर्भवती माँ के बच्चों में फैल जाता है।मासिक धर्म स्वच्छता और सुरक्षित प्रथाओं के बारे में बेहतर जानकारी रखने वाली महिलाएं आरटीआई और इसके परिणामों के प्रति कम संवेदनशील होती हैं। इसलिए, बचपन से ही मासिक धर्म के बारे में जानकारी बढ़ाने से सुरक्षित प्रथाओं को बढ़ावा मिल सकता है और लाखों महिलाओं की पीड़ा को कम करने में मदद मिल सकती है।