जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने जिला पलवल, होडल व हथीन की अदालतों में किया राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन
-राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से जिला पलवल में किया गया लंबित मामलों का निपटारा-
– -कुल 4233 केसों में से 2669 केसों का किया मौके पर ही निपटान-
-लोक अदालतों में मोटर व्हीकल एक्ट/बिजली चोरी के 346 मामलों की भी हुई सुनवाई-
पलवल-14 दिसंबर
कृष्ण कुमार छाबड़ा
जिला पलवल की अदालतों में शनिवार को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार हरियाणा विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के चेयरमैन श्री पुनीश जिंदिया के नेतृत्व तथा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं प्राधिकरण की सचिव मेनका सिंह के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय लोक अदालत में केसों का निपटारा करने के लिए जिला अदालत पलवल, होडल और हथीन की अदालतों में राष्ट्रीय लोक अदालतें लगाई गई। इन लोक अदालतों में कुल 4233 केसों में से 2669 केसों का निपटारा किया गया।
राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए सभी विचाराधीन मामलों के निपटारे के लिए प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय कुमुद गुगनानी, सुकीर्ति अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रतीक जैन, विवेक तोमर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, आयुष गर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, छवि गोयल उपमंडल न्यायिक मजिस्ट्रेट होडल और अपर्णा चौधरी न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, हथीन की न्यायिक पीठों का गठन किया गया।
इन न्यायिक पीठों में प्राधिकरण के पैनल अधिवक्तागण कृष्णा शर्मा, महेश चंद शर्मा, मधु, हंसराज, महिपाल बघेल, संदीप अग्रवाल और राकेश गुप्ता भी को भी बतौर सदस्य पीठ में शामिल किया गया । प्राधिकरण के अधिवक्ता नवीन रावत, जगत सिंह रावत, संदीप गुप्ता, अमित कुमार ने भी लोक अदालत में बतौर रिमांड काउंसिल सहयोग किया।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मेनका सिंह ने राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के तहत प्री-लोक अदालतों का आयोजन किया गया था। इन प्री-लोक अदालतों में राष्ट्रीय लोक अदालत के मद्देनजर लंबित मामलों का निपटारा किया गया। जिनमें एक मुकदमा निशा देवी बनाम सुरेश मौर्य वगैरा मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवम चेयरमैन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री पुनीश जिंदिया की अदालत में विचाराधीन था, जिसमें एक गरीब मजदूर की मृत्यु सड़क दुर्घटना में लापरवाही के चलते हो गई थी जोकि मृतक धर्मवीर अपने बच्चों व माता-पिता का एकमात्र सहारा था। धर्मवीर की मृत्यु होने से ये सभी आश्रित बेसहारा और लाचार हो गए थे। उक्त केस की बारीकियों और मृतक की पारिवारिक व आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस केस का फैसला प्री-लोक अदालत में किया गया, ताकि मृतक के परिजनों को त्वरित और उचित न्याय मिल सके। इस फैसले के तहत माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री पुनीश जिंदिया ने प्री-लोक अदालत के माध्यम से मृतक के परिजनों को बीमा कंपनी (प्रतिवादी न.3) द्वारा 65 लाख रुपये की एक उचित मुआवजा राशि का अवार्ड किया गया, ताकि उक्त राशि से पीड़ित परिवार की कुछ क्षतिपूर्ति हो सके। इस फैसले से एक बार फिर से यह साबित हो गया कि न्याय सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध है और अदालत की नजर में सभी समान है और गरीब या अमीर में किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं है। इस प्रकार से इस राष्ट्रीय लोक अदालत की यह एक सक्सेसफुल स्टोरी रही।
इसके अतिरिक्त वाहन दुर्घटना मुआवजा, बैंक वसूली, राजीनामा योग्य फौजदारी मामले, बिजली एवं पानी के बिल संबंधी मामले, श्रम विवाद, सभी प्रकार के पारिवारिक विवाद, चैक बांउस, राजस्व आदि मामलों को भी निपटाने का हरसंभव प्रयास लोक अदालत के माध्यम से किया गया। इस राष्ट्रीय लोक अदालत में इन विवादों के निपटारे के लिए सुलह एवं समझौते के आधार पर निपटारे के प्रयास किए गए, जिसके चलते राष्ट्रीय लोक अदालतों में पारिवारिक 17 मामलों में 3 मामलों का सहमति से निपटाया गया। फौजदारी के 299 मामलों में से 123 मामलों का निपटारा हुआ। चैक बाउंस के 26 केसों में से 23 मामले आपसी सहमति से निपटाए गए। वाहन दुर्घटना के 108 मामलों में से 44 मामलों को निपटाया गया। बैंक वसूली के 308 में से 285 मामले निपटाए गए। अन्य 2757 केसो मे से 1531 मामले निपटाये गए, अन्य दीवानी मामलों में 46 केसों में से 18 मामले निपटाए गए। इस राष्ट्रीय लोक अदालत में मोटर व्हीकल एक्ट/बिजली चोरी के मामलों की भी सुनवाई की गई।