गंगेश कुमार पाण्डेय
(ब्यूरोचीफ)सत्यार्थ न्यूज़ सुलतानपुर,उत्तर प्रदेश
“सर्दी का सितम जारी” पाला पड़ने से आलू को नुकसान“
संवाददाता–सत्यार्थ न्यूज़ सुलतानपुर
संवाद –सत्यार्थ (ब्यूरो)न्यूज एजेंसी, सुलतानपुर
जिले में सर्दी का मिजाज बदला हुआ है। तापमान में असमानता से पाला पड़ने की संभावना बढ़ गई है। अधिकतम और न्यूनतम तापमान में गिरावट आ रही है। इसके चलते शाम होते गलन बढ़ने लगती है।
दिन में धूप होने से अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जा रहा है। पूरे दिन हवा के साथ सर्दी का जोर रहता है। मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है। पाला पड़ने से सरसों और आलू की फसल को नुकसान पहुंच सकता है।
रबी फसल की बोआई का आखिरी दौर चल रहा है। कई सालों का आकलन किया जाए तो अब तक सर्दी अपने चरम पर रहती थी। दिसंबर माह का दूसरा पखवाड़ा शुरू हो गया है। दिन में धूप और सुबह-शाम हाड़ कंपाने वाली सर्दी व पाले ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। किसानों का कहना है कि पाले से गेहूं की फसल को फायदा होता है, लेकिन आलू, मटर व सरसों की फसल प्रभावित हो सकती है।
“आलू की फसल के लिए बढ़ा खतरा”
किसान अरुण देव मिश्र ने बताया कि चार दिनों से पाले का असर दिखाई पड़ रहा है। आलू की फसल के लिए खतरा बढ़ रहा है। किसान अवधेश प्रताप सिंह कहते हैं कि दिन में हो रही तेज धूप से खेतों की नमी चली जा रही है। सरसों में आने वाले फूल कम निकलेंगे। किसान संतोष दूबे ने बताया कि तीन दिन से सुबह आलू के पौधे की पत्तियों पर सफेदी देखी गई। सिर्फ गेहूं की फसल को लाभ है। पाला पड़ने से रबी की फसल में नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के मौसम पर्यवेक्षक डॉ. अमरनाथ मिश्र ने बताया कि शुक्रवार को अधिकतम तापमान 23.5 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 4.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
“बोले किसान, पाला पड़ने पर कम होगी पैदावार”
किसान देवी प्रसाद चौबे ने बताया कि पाला पड़ने से आलू की फसल को काफी नुकसान होगा। फसल गलकर नष्ट हो जाएगी। किसान राज बब्बर ने कहते हैं कि पाला पड़ने से आलू की फसल में झुलसा रोग लग सकता हैं, जिससे फसल पूरी तरह नष्ट हो सकती है। किसान वैभव पांडेय ने कहा कि पाला से सरसों में कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है। आलू की फसल को बचाने के लिए चूल्हे में जलने वाली लकड़ी से बची राख का छिड़काव कर उसे बचाया जा सकता है। किसान राजकुमार तिवारी ने बताया कि इस सीजन में गेहूं, मटर और आलू जैसी फसलें खेतों में उगाई जाती हैं। सरसों, मटर और आलू पर पाला का बुरा असर पड़ता है।
“पाला से बचाव के लिए करें सिंचाई”
कमला नेहरू कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. सीके त्रिपाठी बताते हैं कि पाला का असर आलू और सरसों की फसल पर ज्यादा पड़ता है। पौधों की कोशिकाओं में तरल पदार्थ होता है, जो पाला पड़ने से बर्फ में बदल जाता है। इससे पौधे नष्ट हो जाते हैं। किसानों को खेतों के तापमान को न्यूनतम रखने के लिए सिंचाई करनी जरूरी है। साथ ही किसान गंधक अम्ल का स्प्रे कर सकत हैं।
सत्यार्थ ब्यूरो न्यूज़ सुलतानपुर
उत्तर प्रदेश