विशेष संवाददाता :- पुनीत मरकाम मुख्यमंत्री के शिवनंदनपुर को नगर पंचायत बनाने की घोषणा पर पोया ने जताई आपत्ति।
कांकेर । युवा प्रभाग के जिला अध्यक्ष और सोशल एक्टिविस्ट बीपीएस पोया ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा शिवनंदनपुर को नगर पंचायत बनाने की घोषणा पर अपनी आपत्ति जताई है। पोया ने आपत्ति जताते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने हमेशा ग्राम स्वराज की वकालत की थी, जिसमें गांवों का विकास पंचायती राज के माध्यम से होता है, न कि उन्हें नगर पंचायतों में बदलने के माध्यम से । पोया ने इस बात पर जोर दिया कि महात्मा गांधी का सपना था कि भारत का विकास गांवों में बसे और वहां के लोगों को सशक्तिकरण मिले। गांधी जी का मानना था कि पंचायती राज ही सच्चे लोकतंत्र का प्रतीक है। इसके विपरीत, नगर पंचायत बनाने की योजना को गांधी जी के विचारों के विपरीत बताया गया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करना और ग्रामीण भारत में लोकतांत्रिक भागीदारी को बढ़ावा देना है।
पोया ने बताया की सरगुजा संभाग व सूरजपुर जिला पांचवी अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है । जहां ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाना
असंवैधानिक है। भटगांव विधानसभा के विधायक व महिला बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े एवं विश्रामपुर के स्थानीय नेता गण अपने राजनीतिक पूर्ति के लिए जबरन ग्राम पंचायत शिवनंदनपुर को नगर पंचायत बनाने का बार-बार से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साय सरकार से अपील कर रहे हैं पोया ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री आदिवासी समाज से आते हैं जो आदिवासी दर्द को समझेंगे क्योंकि गांव से ही निकलकर आज मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचे हैं। गांव की कला संस्कृति सभ्यता व्यवहार गांव में रहने वाले लोगों को पता है,जहां पर शुद्ध हवा, जल, जंगल जमीन ,वन्य पेड़ पौधे जीव जंतु मिलते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री शिवंदनपुर को ग्राम पंचायत बनाने में अपना समर्थन देंगे यह हमारे समाज की अपील है। अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए पंचायत जैसी व्यवस्थाओं में विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। सरकार अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी तो हम ग्राम पंचायत शिवनंदनपुर को यथावत ग्राम पंचायत रखने के लिए संवैधानिक आंदोलन भी करेंगे, क्योंकि अनुसूचित क्षेत्रों में नगर पंचायत व्यवस्था अवैध है,
भारतीय संविधान में 73 वें संशोधन के बाद अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत राज व्यवस्था और नगर पालिकाओं की स्थापना पर संवैधानिक रोक लगा दी गई। इसके बाद भारतीय संसद ने अनुच्छेद 243 (M) 4 (B) के तहत विशेष कानून बना कर अनुसूचित क्षेत्रों पर आदिवासी पंचायतों का विस्तार किया। हमे विश्वास है कि पूरा आदिवासी समुदाय,पर्यावरण प्रेमी और ग्राम पंचायत वासी हमारा सहयोग प्रदान करेंगे ।