सवांददाता मीडिया प्रभारी मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
विपश्यना भारत की एक अत्यंत पुरातन ध्यान-विधि है।:कालवा
श्रीडूंगरगढ़ कस्बे की ओम योग सेवा संस्था के निदेशक योगाचार्य ओम प्रकाश कालवा ने सत्यार्थ न्यूज चैनल पर 83 वां अंक प्रकाशित करते हुए विपश्यना ध्यान के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया। विपश्यना ध्यान के पांच सिद्धांत माने गए हैं जीव हिंसा की पूर्ण मनाही, चोरी ना करना, बह्मचर्य का पालन, अपशब्दों का प्रयोग ना करना, नशे से दूर रहना इसके मूल पांच सिद्धांत है. इस ध्यान विधि को आप सुबह एक घंटा या शाम को एक घंटा कर सकते हैं अगर आप दोनों वक्त करते हैं तो यह काफी लाभकारी साबित होगा। विपश्यना भारत की एक अत्यंत पुरातन ध्यान-विधि है। मानव जाती से दीर्घ काल से खोई हुई को आज से लगभग २५०० वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध ने पुन: खोज निकाला था। विपश्यना का मतलब है कि जो वस्तु सचमुच जैसी हो, उसे उसी प्रकार जान लेना। यह अंतर्मन की गहराइयों तक जाकर आत्म-निरीक्षण द्वारा आत्मशुद्धि की साधना है। विपश्यना का अभ्यास करने के लिए मुझे बौद्ध होना ज़रूरी है? कई धर्मों और किसी भी धर्म के लोगों ने ध्यान के इस कोर्स को मददगार और लाभकारी पाया है। विपश्यना जीने की एक कला है, एक जीवन शैली है। सुझाए गए सामानों में इनडोर जूते-चप्पल (आसान स्लिप-ऑन,जैसे कि मोज़े,थोंग आदि) और ध्यान कक्ष में उपयोग के लिए आपके सोने के कंबल के अलावा एक शॉल या हल्का कंबल शामिल है। मौसमी वस्तुओं में रेनकोट,जूते,टोपी,गर्म कपड़े शामिल हैं।
निवेदन
ओम योग सेवा संस्था श्री डूंगरगढ़ द्वारा जनहित में जारी।