पौधे का कलम तैयार करने के लिए प्रशिक्षण संपन्न
अमित कुमार शर्मा
कराहल. पौधे का कलम तैयार कर अलग अलग पेड़ों का पौधा तैयार करने की कला में यदि लोग सक्षम हो जायेगें तो समुदाय बढ़ी हुई फसल के लचीलापन और बेहतर गुणवत्ता से लाभ उठा सकते है. किसान खुद ही उन्नत किस्म के पौधों का कलम बनाकर अपने खेतो में रोपेगा और उसका लाभ उठाएगा. यह कार्य पर्यावरण और पोषण सुरक्षा के लिए जरुरी है. उक्त बातें महात्मा गाँधी सेवा आश्रम के अनिल भाई ने कही.
अनिल भाई ने कहा कि दूर दराज के किसानो की उन्नत किस्म के पौधों तक पहुँच नहीं होने के कारण किसान कृषि वानिकी को नहीं अपना रहे है. जो बहुत ही महत्वपूर्ण है. किसानो को पौधों के लिए नर्सरी पर निर्भर रहना पड़ता है. संस्था की मंशा है की गाँव गाँव में किसान ग्राफ्टिंग की तकनीक से परिचित हो और नर्सरी तैयार करे. इसके लिए जन आन्दोलन चलाया जायेगा जिससे की जलवायु परिवर्तन से होने वाली चुनौतियों का लोग सामना कर सकें.
कृषि विशेषग्य पुनीत मिश्रा ने प्रशिक्षण में किसानों को ग्राफ्टिंग की कलम बंधन में वी ग्राफ्टिंग, बड ग्राफ्टिंग , एयर लेयरिंग और स्वाएल लेयरिंग की जानकारी प्रदान की. उन्होंने ग्राफ्टिंग के अलग अलग तकनीको के उपयोग को वक्तव्य के माध्यम से समझाया और सभी तकनीको को किसानो को अभ्यास के माध्यम से सिखाया. किसानों के लिए पौध ग्राफ्टिंग प्रशिक्षण कृषि उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। ग्राफ्टिंग में दो अलग-अलग पौधों की किस्मों के ऊतकों को जोड़कर रोग प्रतिरोधक क्षमता, उपज क्षमता या पर्यावरण अनुकूलनशीलता जैसे वांछनीय गुणों को जोड़ना शामिल है। ग्राफ्टिंग किसानों को नई किस्मों के साथ नवाचार और प्रयोग करने का अधिकार देती है, जिससे कृषि स्थिरता और खाद्य सुरक्षा में योगदान मिलता है। जिससे किसान अपने गाँव के इस तकनीक के माध्यम में पौधे की नयी किस्म स्वयं से बना सकेगे व अपनी आजीविका शुरू कर सकेगे. किरण सिंह ने कहा कि ग्राफ्टिंग से कृषि उपज और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा एवं पौधों की वृद्धि और विकास में सुधार होने से उपज बढ़ती है। यह पौधे विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के प्रति अधिक अनुकूल होते हैं, जिससे किसानों को विभिन्न क्षेत्रों में खेती करने में सुविधा होती है। ग्राफ्टिंग के माध्यम से एक ही पौधे पर विभिन्न किस्मों के फल और फूल उगाए जा सकते हैं, जिससे किसानों को विविध फसलें मिलती हैं और उनकी आमदनी बढ़ती है।
ज्ञात हो कि महात्मा गाँधी सेवा आश्रम द्वारा आदिवासी और गरीब किसानो को पोषण सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार कर रहा है. उसी के अंतर्गत इस प्रशिक्षण का आयोजन भैरोपुरा स्थित किसान पाठशाला पर किया गया था. जिसमे कराहल ब्लाक के 20 गाँव के किसानो ने प्रशिक्षण के माध्यम से कलम बंधन के अलग प्रकार के बारे में सीखा |
प्रशिक्षण में मेहरबानी, बनार,पारोंद, रानीपुरा, सेमरा, खिरखिरी, भैरूपुरा, सोनीपुरा, भोतुपुरा, सेमरा, शिवकालोनी, रामनगर, बंकुरी सहित 20 गाँव के 44 आदिवासी और गरीब किसान उपस्थित थे | किसान पाठशाला के संचालक सुखलाल ने सभी लोगो के प्रति आभार व्यक्त किया और उम्मीद जाहिर किया की संस्था की तरफ से इसी प्रकार के महत्वपूर्ण प्रशिक्षण होते रहेगे | प्रशिक्षण के आयोजन में नीरज श्रीवास्तव, ज्योति रजक, संदीप भार्गव, नीलम कुशवाहा, दुर्गा कुशवाहा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.