विश्व पटल पर योग का ढंका लेकिन दस सालों से सरकारी नोकरी का कर रहे हैं इंतजार : योग एक्सपर्ट ओम कालवा
न्यूज रिपोर्टर मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्री डूंगरगढ़
श्री डूंगरगढ़ उपखण्ड के धीरदेसर पुरोहितान निवासी राजस्थान योग शिक्षक संघर्ष समिति के प्रदेश संरक्षक योगगुरू ओम प्रकाश कालवा ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पिछ्ले दस सालों से योग का विश्व पटल पर ढंका बजाया परंतु उसी आस में देश के कई लाखों योगी भाई बहन योग में डिग्री डिप्लोमा कोर्स प्राप्त कर आज भी बेरोजगार बैठे हैं। ओर कर रहे हैं सरकारी नौकरी का इंतजार ओम कालवा ने विस्तार पूर्वक जनकारी देते हुए बताया कि अन्तर्राराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून जो कि 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (U. N. G. A.) के 69 वें सत्र को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विश्व समुदाय से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का आह्वान किया। श्री मोदी ने कहा :- योग प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की अमूल्य देन हैं, योग अभ्यास शरीर एवं मन विचार एवं कर्म, आत्म संयम एवं पूर्णता की एकात्मकता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य प्रदान करता है, यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णतावादी दृष्टिकोण है। योग मात्र व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ विश्व और प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारी जीवनशैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरुकता उत्पन्न करता है तथा प्राकृतिक परिवर्तनों से शरीर में होने वाले बदलावों को सहन करने में सहायक हो सकता है। आइए – हम सब मिलकर योग को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में स्वीकार करने की दिशा में कार्य करें। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्तराष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों ने रिकॉर्ड 177 सह समर्थक देशों के साथ 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का संकल्प सर्व समिति से अनुमोदित कर दिया गया था लेकीन देश में योग को केवल पार्ट टाइम के आधार पर रखा गया है। कालवा ने बताया कि योग मानव कल्याण के लिए प्रेरणा स्रोत पद्धति है इसे तो बहुत पहले ही लागू कर देना चाहिए था विडंबना तो ये है कि योग तो पांच हजार साल पुराना होने के बाद भी कंदराओं और गुफाओं तक ही सीमित रह गया है। योग को धरातल पर लागू किया जाए तो मानव जाति के कल्याण के साथ देश और विश्व का कल्याण हो सकता है।