• सरकार के पहले 100 दिनों में वाणिज्य विभाग का मुख्य ध्यान निर्यातकों को सशक्त बनाना और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना है।
ताजा खबरें : वाणिज्य विभाग (डीओसी) ने वर्तमान सरकार के पहले 100 दिनों के दौरान निर्यातकों को सशक्त बनाने, प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और नवीन समाधानों के माध्यम से आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने पर ध्यान केंद्रित किया है। इन उपलब्धियों के कुछ मुख्य अंश नीचे दिए गए हैं:
1. ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से निर्यातकों को सशक्त बनाना।
एक व्यापक ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफ़ॉर्म के शुभारंभ ने 6 लाख से अधिक आयात-निर्यातक कोड (आईईसी) धारकों, 185 भारतीय मिशन अधिकारियों और निर्यात संवर्धन परिषद के 600 से अधिक सदस्यों को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी)/वाणिज्य विभाग (डीओसी) कार्यालयों और बैंकों से जोड़ा है। यह डिजिटल पहल लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिए सूचना और मार्गदर्शन प्रदान करके व्यापार करने में सुगमता में वृद्धि करती है और अधिक सहज और पारदर्शी निर्यात इकोसिस्टम को प्रोत्साहन देती है।
2. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) निर्यातकों के लिए बीमा कवर बढ़ाया।
सरकार ने निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) निर्यातकों के लिए बढ़ा हुआ बीमा कवर प्रस्तुत किया है, जिससे कम लागत पर 20,000 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध होने की संभावना है। यह पहल भारतीय निर्यात को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगी, जिससे लगभग 10,000 निर्यातकों को लाभ होगा।
3. स्व-प्रमाणित इलेक्ट्रॉनिक बैंक रियलाइजेशन सर्टिफिकेट (ईबीआरसी) प्रणाली के माध्यम से अनुपालन बोझ को कम करना।
स्व-प्रमाणित इलेक्ट्रॉनिक बैंक रियलाइज़ेशन सर्टिफिकेट प्रणाली की शुरुआत से निर्यातकों के लिए अनुपालन लागत में काफी कमी आई है। पहले प्रति इलेक्ट्रॉनिक बैंक रियलाइज़ेशन सर्टिफिकेट (ईबीआरसी) की लागत 500 रुपये से 1,500 रुपये के बीच थी, अब यह प्रणाली निर्यातकों को 125 करोड़ रुपये से अधिक बचत कराती है और लाभ और रिफंड का दावा करने की प्रक्रिया को सरल बनाती है। यह कागज रहित प्रणाली डिजिटल, पर्यावरण-अनुकूल अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने, प्रशासनिक और पर्यावरणीय खर्चों में कटौती करने के सरकार के व्यापक लक्ष्यों के साथ भी संरेखित है।
इलेक्ट्रॉनिक बैंक रियलाइज़ेशन सर्टिफिकेट (ईबीआरसी) का थोक उत्पादन और एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस (एपीआई) एकीकरण समय और प्रयास को काफी कम कर देता है, जिससे निर्यातकों और हितधारकों के लिए प्रक्रिया सुव्यवस्थित हो जाती है। यह प्रणाली विशेष रूप से ई-कॉमर्स में छोटे निर्यातकों के लिए लाभदायक है, क्योंकि यह अधिक मात्रा में, कम लागत वाले लेनदेन को कुशलतापूर्वक संभालती है। परिणामस्वरूप, यह उन्हें अधिक प्रभावी ढंग से लाभ और रिफंड का दावा करने में सक्षम बनाता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में उनकी वृद्धि और भागीदारी में सहयोग प्राप्त होता है।
4. ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र (ईसीईएच) के माध्यम से लघु और मध्यम उद्यम (एसएमई) निर्यातकों को दुनिया से जोड़ना।
ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र (ईसीईएच) का शुभारंभ भारत के सीमा पार ई-कॉमर्स इकोसिस्टम में क्रांति लाने के लिए तैयार है, जिसमें वर्ष 2030 तक 100 बिलियन अमरीकी डालर के संभावित निर्यात मूल्य का संकेत दिया गया है। ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र (ईसीईएच) कारीगरों, लघु और मध्यम उद्यम (एसएमई) और एक ज़िला, एक उत्पाद (ओडीओपी) उत्पादकों की वैश्विक बाजारों तक आसान पहुंच, लागत कम करना और लॉजिस्टिक्स को सरल बनाने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करेगा।
ये केंद्र परिवहन, भंडारण और गुणवत्ता आश्वासन में रोजगार के अवसरों को प्रोत्साहन देंगे। टियर 2 और टियर 3 शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों को वैश्विक बाज़ार ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र (ईसीईएच) से जोड़ना इन क्षेत्रों के डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह संपर्क छोटे शहरों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में व्यापक अवसरों तक पहुंचने, आर्थिक विकास और समावेशन को प्रोत्साहन देने में सक्षम बनाएगा।
5. सरकारी ई मार्केट प्लस पोर्टल पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के लिए लेनदेन लागत कम करना।
सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहन देने के लिए, मूल्य निर्धारण स्लैब की संख्या कम कर दी गई है, जिससे विक्रेताओं के लिए इसे समझना और अनुपालन करना आसान हो गया है। शुल्क पर नई सीमा उच्च-मूल्य वाले लेनदेन के लिए अधिक सामर्थ्य सुनिश्चित करती है क्योंकि 10 करोड़ रुपये से ऊपर के ऑर्डर पर अब 3 लाख रुपये का एक निश्चित शुल्क देना होगा, जो कि पहले से निर्धारित 72.5 लाख रुपये के लेनदेन शुल्क की तुलना में बहुत अधिक कमी है।
6. दुबई में भारत मार्ट।
वाणिज्य विभाग ने एक अभूतपूर्व पहल में, दुबई में भारत मार्ट की स्थापना की सुविधा प्रदान की है। यह केंद्र भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी), अफ्रीकी और सीआईएस बाजारों तक लागत-कुशल पहुंच प्रदान करेगा, जिससे इन क्षेत्रों में भारत के निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।
7. जनसुनवाई के माध्यम से मानवीय इंटरफेस को समाप्त करना।
सरकार ने जनसुनवाई शुरू करके व्यापार करने में सुगमता को और बढ़ाया है। यह एक ऐसा मंच है जो बिचौलियों को खत्म करके सुचारू संचार की सुविधा देता है और हितधारकों और विभाग के बीच सीधा संचार प्रदान करता है। यह पारदर्शिता को बढ़ावा देता है और व्यवसायों के समय और प्रयास को बचाता है, जिससे भौतिक कार्यालय दौरे की आवश्यकता कम हो जाती है।
8. जैविक नियामक इकोसिस्टम को मजबूत बनाना।
एक संशोधित राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) निर्यात के बढ़े हुए अवसरों के माध्यम से 5,000 उत्पादक समूहों के लगभग 20 लाख किसानों को लाभान्वित करने के लिए तैयार है। प्रमाणन मानकों में सुधार पर ध्यान देने के साथ, वर्ष 2025-26 तक जैविक निर्यात 1 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक होने की संभावना है।
9. प्रधानमंत्री चाय श्रमिक प्रोत्साहन योजना (पीएमसीएसपीवाई)
इस पहल के अंतर्गत, असम और पश्चिम बंगाल के 1,210 चाय बागानों में 10 लाख से अधिक श्रमिकों को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और विश्राम शेड सुविधाओं तक पहुंच मिलेगी। यह चाय बागान श्रमिकों और उनके परिवारों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है।
10. सभी गैर-सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी)/सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाएँ (आईटीईएस) विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) में भारतीय सीमा शुल्क इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज गेटवे (आइसगेट) का शुभारंभ।
भारतीय सीमा शुल्क इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज गेटवे (आइसगेट) पोर्टल का विस्तार सभी गैर-सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी)/सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाएं (आईटीईएस) विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) इकाइयों को शामिल करने के लिए किया गया है, जो उन्हें निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (आरओडीटीईपी) योजना के अंतर्गत लाभ के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाता है। यह कदम व्यापार करने में सुगमता को बढ़ाता है, विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) इकाइयों को 24 घंटे और सातों दिन चालू रहने वाली हेल्पडेस्क की सहायता प्रदान करता है और अधिक निर्बाध व्यापार संचालन सुनिश्चित करता है।
ये परिवर्तनकारी पहल अपने लोगों के विकास और कल्याण को सुनिश्चित करते हुए भारत के वैश्विक व्यापार पहुंच का विस्तार करने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती हैं। वाणिज्य विभाग के निरंतर प्रयासों से, भारत वर्ष 2047 तक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर अग्रसर है।