मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना : दुर उपयोग बांसवाडा संभाग में
संवाददाता पूर्णानंद पांडे
25अगस्त 2024
मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना है. इस योजना की शुरुआत 2011 से हुई है और राजस्थान की इस फ्री दवा योजना का 40 प्रतिशत भारत राज्य सरकार वहन कर रही है और 60 प्रतिशत खर्चा केंद्र सरकार वहन करती है. इस योजना का लाभ कोई भी बीमार व्यक्ति ले सकता है
बांसवाड़ा संभाग के नवागांव के पासमें नाले के अदर बेस किमती लाखों रुपए कि दवाईयां फेंकी हुई मिली जिसकी शिकायत ब्लॉक सीएमएचओ को की गई लेकिन ब्लॉक बीसीएमओ ने किसी प्रकारकी कोई कार्यवाही नहींकी फिर मामले को संभागीय आयुक्त डाक्टर निरज के पवन ने तत्काल मुख्य चिकित्साएवं स्वास्थ्य अधिकारी एच एल तबीयत को बोला कि इसकी जांचकी जाए मुख्य चिकित्साएवं स्वास्थ्य अधिकारी ने तत्परता दिखाई और पीएससी का निरीक्षण तब एक आशा की किरण जगी थी जल्द ही दोषियों को सज़ा मिलेगी लेकिन सभी लिप्त व्यक्ति अपना बचाव करने में लगें हूये हैं किसीने राजनीति दबाव तो किसी ने व्यक्तिगत दबाव बनाया कर मामले को दबाने कि भरपूर कोशिश कि जा रही है तभी तो सरकारी
अधिकारियों ने अपने अपने दस्तावेज को ठीक करने के लिए तिन दिन का समय दिया है
किसी भी सभ्य समाज में बीमारी का सुगम और सरल इलाज की व्यवस्था एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है. इलाज में डॉक्टर की सलाह, दवाई और अस्पताल की व्यवस्था महत्वपूर्ण होती है. देश में कई राज्य सरकारें प्रदेश के लोगों को सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा दे रही है. साथ ही सरकारी चिकित्सालयों के जरिए लोगों को डॉक्टरों की सलाह दी जा रही है. साथ ही दवाइयां भी दी जा रही है. यह दवाई मुफ्त दी जा रही हैं. इस प्रकार की योजना राजस्थान में भी जारी है.
इस योजना का नाम मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना है. इस योजना की शुरुआत 2011 से हुई है और राजस्थान की इस फ्री दवा योजना का 40 प्रतिशत भारत राज्य सरकार वहन कर रही है और 60 प्रतिशत खर्चा केंद्र सरकार वहन करती है. इस योजना का लाभ कोई भी बीमार व्यक्ति ले सकता है.
सरकारी वेबसाइट के हिसाब से योजना के माध्यम से राजकीय चिकित्सालयों में आने वाले सभी इनडोर एवं आउटडोर रोगियों को आवश्यक दवा सूची में सम्मिलित दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाती हैं. इस योजना को सरकार द्वारा 2 अक्टूबर 2011 को आरंभ किया गया था. इस योजना के अंतर्गत सभी चिकित्सा संस्थानों में दवा वितरण करने के लिए जिला मुख्यालय पर औषधि भंडार गृह स्थापित किए गए हैं.
वेबसाइट के अनुसार वर्तमान में राजकीय चिकित्सालयों में आने वाले सभी अंतरंग एवं बहिरंग रोगियों को – आवश्यक दवा सूची में शामिल 1594 प्रकार की दवाइयों, 928 सर्जिकल एवं 185 सूचर्स सहित कुल 2707 दवाइयां, सर्जिकल व सूचर्स निशुल्क उपलब्ध करवाई जाती हैं. दवाइयों की अनुपलब्धता होने पर राजकीय चिकित्सालयों की मांग अनुसार स्थानीय स्तर पर क्रय कर उपलब्ध करवाई जाती हैं. ‘योजना में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अब तक 3680 करोड़ रुपये व्यय किये गये हैं. इनडोर एवं आपातकालीन मरीजों के लिए दवा की उपलब्धता 24 घंटे सुनिश्चित करवाई जा रही है
लेकिन बड़े दुर्भाग्य कि बात है कि बात है कि जहां सरकार करोड़ो रुपए लगा कर दवाईयां निशुल्क उपलब्ध करवाने में लगी है कि आम आदमी को इससे लाभ हो वहीं दूसरी और सरकार के हि कर्मचारी इस योजना को फैल करने में लगे हुए हैं