रावेंद्र (केसरवानी रोहन प्रयागराज उत्तर प्रदेश )श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र आदि कथाओं का हुआ वर्णन
(कौंधियारा प्रयागराज )विकासखंड कौधियारा क्षेत्र के ग्राम सभा कुलमई मजरा (नचकोल का पूरा) में पंडित राम कुबेर पांडेय सपत्नीक के यहां संगीतमयी श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन कथा मर्मज्ञ अयोध्या धाम से पधारे कथा व्यास परम पूज्य श्री दयालु महाराज जी ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि विप्र सुदामा श्री कृष्ण के परम भक्त थे। उनके गरीबी की हद हो गई थी। फिर भी वह प्रत्येक क्षण कन्हैया में ही लीन रहते थे। सुशीला धर्मपत्नी एवं पतिव्रत थी। उन्होंने गरीबी से तंग आकर एक दिन पति से कहा कि आपके सखा, भक्त, वांछा, कल्पतरु, शरणागत वत्सल और ब्राह्मणों के परम भक्त एवं आपके शखा भी है। आप द्वारकाधीश के यहां क्यों नहीं जाते। आगे उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का मिलन जब द्वारिका पुरी में हुआ उस समय भक्त और भगवान दोनों को नेत्रों में प्रेम और उत्कृष्ठा के आवेग से आंसू छलक आए । दोनों आनंद में डूबते उतराते रहे। भगवान श्री कृष्ण का दर्शन करते ही विप्र सुदामा के सारे (पाप) दरिद्रता नष्ट हो गई। उनका अतः करण स्वच्छ और निर्मल हो गया। शरीर का एक-एक रोम खिल आया आगे सुदामा के पैर धोना, स्वागत, चावलों को बड़े प्रेम से खाना, सुदामा को सब कुछ समर्पित कर देना। आदि प्रसंगों का मार्मिक वर्णन किया सुदामा और श्री कृष्ण की मित्रता से हमें यही शिक्षा मिलती है कि यदि एक मित्र दुखी हो तो दूसरे मित्र का सुखी रहना पाप है। कथा को आगे बढ़ते हुए ब्यास जी ने यदुवंश संर्घार पर चर्चा करते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण चंद्र ने माता गांधारी के उस श्राप को पूर्ण करने के लिए यदुवंशियों की मती फेर दिया। एक दिन अहंकार के वश में आकर कुछ यदुवंशी बालकों ने दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया। इस पर दुर्वासा ऋषि ने श्राप दे दिया कि, समूल यदुवंश का नाप हो जाए। और ऐसा ही हुआ कि सागर के तट पर यदुवंशी तीव्र मदिरा के पान से सब के सब उन्मत्त होकर अपने आप में एक- दूसरे पर प्रहार करके समाप्त हो गए। महत्व- इस पवित्र आर्यावर्त में मनुष्य का जन्म पाकर भी जिन लोगों ने पाप के अधीन होकर श्रीमद् भागवत की कथा नहीं सुना, उन्होंने मानो अपने ही हाथों अपनी हत्या कर ली। अंत में यजमान के द्वारा मंचासीन परम पूज्य कथा व्यास के साथ ही संगीतकार मक्खन द्विवेदी, पंकज शुक्ला, विनय तिवारी एवं आचार्य मंगला प्रसाद द्विवेदी के साथ पुरोहितों का माल्यार्पण किया। इस मौके पर लाल जी पांडेय ,प्रेम शंकर शुक्ला (भड़कऊ) हरे राम पांडेय ,संतोष शुक्ला ,घनश्याम पांडेय ,सूर्यनारायण पांडेय आदि सैकड़ो भक्त मौजूद रहे। व्यवस्थापक राजभान पांडेय ने सभी आगंतुकों का आभार प्रकट करते हुए बृहस्पतिवार को भागवत का महाप्रसाद ग्रहण करने के लिए अनुनय-विनय विनय किया।।