सवांददाता ब्युरो चीफ रमाकांत झंवर बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
कालूबास के नेहरू पार्क में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान- यज्ञ में तृतीय दिवस की कथा में संत शिवेन्द्रजी महाराज ने कहा कि मनुष्य जन्म की सार्थकता इसी में है कि वह आत्म और परमात्म तत्त्व को भली प्रकार जानकर अपने श्रेयस में लग जाए। अन्यान्य सांसारिक प्रपंचों में उलझकर हम अपने एक सुंदर से जन्म को व्यर्थ गंवा देते हैं। उन्होंने कहा कि अध्यात्म विद्या का तात्पर्य है आत्म तत्त्व को जानने की विद्या। हमें प्रति दिन कुछ समय स्वयं के अनुसंधान पर भी खर्च करना चाहिए। हम कथाएं तो बहुत सुनते हैं किन्तु कथाओं में व्यक्त निहितार्थों पर चिंतन-मनन नहीं करते।आपने कहा कि जो व्यक्ति धर्म का आश्रय रखता है, वह जड़ भरत की भाँति दुनियावी फंदों में नहीं फसता। आज के युग में प्रवृति का बोलबाला इतना अधिक बढ़ गया है कि निवृत्ति मार्ग को अपनाने के लिए समयावकाश ही नहीं है। आपने कहा कि श्रीमद् भागवत, संवाद की कथा है, इसमें मानवीय जिज्ञासाओं को लेकर बहुत सारे संवाद हैं। संवाद से समाधान की प्राप्ति होती है। कलियुग का प्राणी बहुतेरी समस्याओं से ग्रस्त है, भागवत के संवाद उसे जीने की राह दिखाते हैं। बुधवार की कथा में ध्रुव, प्रहलाद तथा जड़- भरत की कथाओं को विस्तार से सुनाया गया। ध्रुव अटलता का प्रतीक है। भक्तों को सदैव भगवान के प्रति अडोल भक्ति करनी चाहिए। भागवत के सभी चरित्र ईश्वरीय साक्षात्कार की कथा कहते हैं तथा वे सभी ईश्वरीय अनुराग उत्पन्न करते हैं। ऋषभदेव, अजामिल, राजा पृथु तथा पुरंजनोपाख्यान को बहुत खोलकर समझाया गया। कथा के उपरांत राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त श्री रामगोपाल सुथार सामाजिक कार्यकर्ता शिवनारायण राठी,गौभक्त ओमप्रकाश राठी भगवद् प्रेमी कुंदनमल पुरोहित,मालचंद ज्याणी,बाबूलाल आसोपा तथा जोरहाट आसाम से आए सामाजिक कार्यकर्ता विद्याधर शर्मा को शिवेन्द्र स्वरूपजी महाराज ने गीता एवं दुपट्टा भेंट कर सम्मान किया। कथा आयोजक श्री रेंवतमल, मुरलीधर,सत्यनारायण तथा विनीत सोनी परिवार ने कथा के उपलक्ष्य में श्रीकृष्ण गौशाला कालूबास तथा जीवदया गौशाला को इक्यावन इक्यावन हजार रुपए की राशि गौ सेवार्थ समर्पित की। मंच संचालन डाॅ चेतन स्वामी ने किया।