• सैकड़ों वर्ष पुरानी है रामलीला में माथे पर तिलक लगानें की परम्परा, बताता है सनातनी पहचान, मन को प्रदान करता है एकाग्रता…
वाराणसी : लोगों द्वारा अपने सिर के बीच में तिलक लगानें और लगवानें का विशेष महत्व है। हिंदू सनातन धर्म का एक निशान तिलक संस्कृत शब्द ‘तिल’ से आता है जिसका अर्थ तिल के बीज है। तिलक लगाना हिंदू परम्परा का एक विशेष कार्य है। बिना तिलक लगाए ना तो पूजा की अनुमति होती है और ना ही पूजा संपन्न मानी जाती है। तिलक दोनों भौहों के बीच में, कंठ पर या नाभि पर लगाया जाता है।
तिलक के द्वारा यह भी जाना जा सकता है कि आप किस सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखते हैं। इससे स्वास्थ्य उत्तम होता है। मन को एकाग्र और शांत होने में मदद मिलती है। साथ ही ग्रहों की ऊर्जा संतुलित हो पाती है और भाग्य विशेष रूप से मदद करने लगता है। एक तिलक किसी व्यक्ति के माथे पर छापे जाते हैं क्योंकि यह वह स्थान है जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति दिव्यता को प्रसारित कर सकता है, इस प्रकार किसी व्यक्ति के आध्यात्मिक चरित्र को बढ़ाता है। तिलक या चंदलो पहने हुए हिंदू सनातन धर्म की परंपरा रही है। प्रत्येक व्यक्ति इसे उस संप्रदाय के आधार पर फोरहेड पर लागू करनें के लिए प्रयुक्त होता था। समय के साथ यह बदल गया है और अब आप बहुत कम देखते हैं इस अभ्यास का पालन करें।
स्वामीनारायण, इस्कॉन, वारकरी और कुछ अन्य संप्रदाय के अनुयायियों को उनकी सुबह की प्रार्थना के दौरान तिलक को सख्ती से लागू करते हैं। हिंदू सनातन धर्म के भीतर विभिन्न संप्रदायों में तिलक का अलग प्रतिनिधित्व है। तिलक (संस्कृत तिलका, “निशान”) एक हिंदू के माथे पर एक निशान है। हिंदू पहचान के सबसे दृश्यमान बाहरी प्रतीकों में से एक यह निशान है कि हम में से कई हमारे माथे पर पहनते हैं। इस अभ्यास की उत्पत्ति अस्पष्ट है। लेकिन, प्राचीन काल में, जब वर्णा प्रणाली प्रमुख थी, लोग अलग-अलग तिलकों को लागू करते थे जो उनके वर्णा का प्रतिनिधित्व करते थे। एक आदमी पर, तिलक एक रेखा या रेखा का रूप लेता है और आमतौर पर अपने सांप्रदायिक संबद्धता को इंगित करता है। सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं। चंदन का तिलक लगानें से पापों का नाश होता है, व्यक्ति संकटों से बचता है, उस पर लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
रामनगर में लीला के दौरान सिर पर लगाए जानें वाले तिलक की परंपरा बहुत ही पुरानी है और लीला के दौरान लोग इसे बड़े चाव के साथ लगाते हैं। लोग इस तिलक को आज भी लीला के दौरान लगवाते हैं। इसे भगवान श्री राम का प्रसाद और आशीर्वाद मानते हैं। सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का निर्माण लोग आज भी कर रहे हैं।वहीं लोगों को तिलक या चंदन लगानें वाले लोगों नें बताया कि हम लोग 10 प्रकार के अलग-अलग तिलक लोगों को लगाते हैं। जिसको जो तिलक अच्छा लगता है हम लोगों से बताते हैं और हम उसी प्रकार का तिलक उनको लगते हैं। ऐसा लोगों को तिलक लगाते हैं कि लोग तिलक देखनें के लिए भी भीड़ लगा लेते हैं। यह हर साल लीला के दौरान हम लोग करते हैं। उन्होंने बताया कि यह तिलक लगानें की परंपरा आज से रही जब से लीला प्रारंभ हुई है तब से शुरू हुई है। तिलक लगानें वाले लोगों नें बताया कि इससे पहले हम लोगों के दादा पर दादा पिताजी भी जो लोग लीला देखनें आते थे उनको तिलक लगाते थे।
तिलक लगानें वाले लोगों नें बताया कि हम लोग जिनको भी टीका या चंदन लगाते हैं, उनसे कभी भी पैसे की मांग नहीं किया जाता। जिसको जितना स्वेच्छा रहता है वह दे देता है। क्योंकि पुरानी परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है इसलिए हम लोग कभी भी पैसे की मांग नहीं करते। यह परंपरा जीवित रहे और लोग इसको जानते रहें, इसीलिए हम इसका निर्वहन आज भी कर रहे हैं। क्योंकि लीला के साथ-साथ यहां पर अन्य चीज भी विश्व प्रसिद्ध है जो अन्य जगहों से अलग बनाती है। तिलक लगानें वाले लोगों नें भी बताया कि यहां पर हम लोगों से तिलक लगानें के बाद किसी भी प्रकार का रुपया या पैसा नहीं मांगा जाता है। हम लोगों को जितनी भी खुशी रहती है हम लोग अपने हिसाब से लोगों को दे देते हैं।
लीला प्रेमी जो लीला देखने पहुंचे हैं वह लोग एक पुश्त नहीं लगभग चार से पांच पुश्तों की बात बताते हैं। लीला प्रेमियों नें बताया कि पहले हम लोग छोटे-छोटे थे तो पिताजी के साथ आते थे तो पिताजी तिलक लगाते थे और लोगों को प्यार से कुछ उपहार स्वरूप दे देते थे। आज भी इसी परंपरा का निर्माण करते हुए हम लोग यहां पर आते हैं और तिलक चंदन लगवानें के साथ उन्हें उपहार स्वरूप जो भी हम लोगों के पास होता है तिलक लगानें वाले लोगों को दे देते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हम लोग 30 दिन लीला देखनें आते हैं और 30 दिन तिलक भी लगवाते हैं।तिलक लगानें वाले लोगों नें बताया कि लोगों को हम लोग तिलक या चंदन जब लगाते हैं तो उसे और भी आकर्षक बनानें के लिए चमकीले किरकिरी भी कई प्रकार के अपने पास रखे रहते हैं। तिलक लगानें के बाद उसे तिलक पर चमकीला वाला विभिन्न प्रकार के किरकिरी डाल देते हैं। जिससे यह काफी आकर्षक लगनें लगता है। उन्होंने यह भी बताया कि जैसे-जैसे शाम ढलती जाती है और लोगों के तिलक पर प्रकाश पड़ता है तो यह काफी लोगों को आकर्षक लगनें लगता है। उन्होंने बताया कि यहां पर आज भी लोगों को तिलक लगवानें के लिए भीड़ इकट्ठा होती है। इसके साथ ही लोगों नें बताया कि सिर्फ तिलक ही नहीं यहां पर और भी कई चीज ऐसी है जो अन्य जगहों के रामलीला से बिल्कुल अलग हटके होता है।