गाडरवारा । मुस्लिम समुदाय का मोहर्रम शहीदाने करबला की याद में मनाया जाता है मोहर्रम की पहली तारीख से ही मजलिस के माध्यम से जिक्रे शहीदने करबला का बयान शुरू हो गया है । शहर में मोहर्रम मोहर्रम पर या हुसैन की सदाए गूंजने लगी है, इस्लाम धर्म का पहला महीना मोहर्रम से ही प्रारंभ होता है करबला में हुए शहीदों की याद में और उनकी शान में लंगर शरबत तक्सीम हो रहा है , मस्जिदों में भी बाद नमाज ईसा करबला में हुए शहीदों की शान में दर्स शुरू हो गया है जामा मस्जिद में पेश इमाम हाफिज जुबेर आलम साहब द्वारा बयान किया जा रहा है । दरगाह, इमाम बाड़ो की रंग रोगन सजावट होने लगी है मोहर्रम की पहली तारीख से ही नगर में मजमा दिखाई देने लगा है नगर में अनेक स्थानों पर हुसैनी परचम लगाए जाएंगे 11 जुलाई मोहर्रम की 4 तारीख को शक्ति चौक पर हर साल की तरह इस साल भी हुसैनी परचम झंडा लगाया जा रहा है । परचम लगने के पूर्व उसी दिन शाम 7 बजे शक्ति चौक से परचम जुलूस निकाला जाएगा जो शिवालय चौक सब्जी मंडी गंज स्कूल होते हुए पुरानी गल्ला मंडी से नए बस स्टैंड होकर बावड़ी अखाड़ा दरगाह शरीफ से गणेश मंदिर वाली गली , झंडा चौक होते हुए वापस शक्ति चौक पहुंचेगा वहा पर परचम कुशाई की जायेगी । मोहर्रम की चार एवं पांच तारीख को गरीब नवाज चौकी, मुकरबा दरगाह शरीफ ,बंगला वाले ,मंडला वाले, सुल्तान बाबा के अलावा कई इमाम बाड़ो की टिपारिया नगर में गश्त करते हुए बड़ेवली इमाम बाड़े पर अपनी हाजिरी पेश करेगी । ताजिया बनाने का काम भी शुरू हो चुका है । मोहर्रम की 7 तारीख को नए बस स्टैंड काजी मोहल्ले से दोपहर करीब 4 बजे मेंहदी कुर्सी ताजिया आलम का जुलूस निकलेगा जो शहर के मुख्य मार्गो से होते हुए वापस शास्त्री वार्ड पहुंचेगा । 7 तारीख की रात में कुछ सवारियां बाबाओ की आमद के साथ शहर में रन करने निकलेगी । नगर में अनेकों स्थानों पर हुसैनी लंगर भी प्रारंभ हो चुका है शाम को शरबत भी तक्सीम किया जा रहा है । मोहर्रम पर कुछ लोग शेर बनकर दरगाहों इमामबाड़ो में नाचकर अपनी मन्नत भी पूरी करते हैं । मोहर्रम पर चादर संदल परचम चढ़ाने बैंड बाजे शहनाई के साथ जुलूस भी निकलेंगे । गाडरवारा में गंगा जमुना तहजीब के साथ महावीर भवन के सामने जबरन देवी दरबार में रमा महाराज की सवारी खड़ी होती है एवं कामथ वार्ड में कोष्टी परिवार द्वारा ताजिया बनाया जाता है , सुरेश गुप्ता भटे द्वारा चादर संदल का जुलूस भी निकाला जाता है मोहर्रम की 9 तारीख इसे कत्ल की रात कहा जाता है इस रात में जागकर यादें हुसैन में डूबकर इबादत की जाती है । मोहर्रम की दस तारीख यौमे आशूरा के दिन रोजा रख अशूरे की नमाज पढ़ी जाती है । दस तारीख को ही संजय मार्केट के समक्ष ताजियों का मजमा लगता है सुबह से ही ताजिए वहा पर एकत्रित हो जाते हैं लोग ताजियों का दीदार करने पहुंचते हैं सुबह से लेकर दोपहर तक सभी सवारियां बाबाओ की आमद के साथ रन करती है । रात्रि में चावड़ी मार्ग बारह भाई इमामबाड़े के पास ताजियों का मजमा लगता है 11 तारीख की सुबह चावड़ी से सभी ताजिए नए बस स्टैंड होते हुए शक्कर नदी के उस पार करबला शरीफ के पास कुंड में विसर्जित किए जाएंगे ।