नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में लागू ग्रैप-4 को हटा दिया है. दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर गुरुवार को चल रही सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने दिल्ली-एनसीआर से ग्रैप-4 को हटाने का आदेश दिया. रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के सवाल पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ने ब्रीफ नोट दिया, जिसमें एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) का ब्यौरा था. इसके मुताबिक एयर क्वॉलिटी लेवल में सुधार है और यह कम हो रहा है.
इसके बाद कोर्ट ने कहा, ग्रैप-4 को हटाने का आदेश देते हैं और आगे ग्रैप तय करने का जिम्मा कमीशन फोर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) पर छोड़ते हैं. हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि सही यही होगा कि ग्रैप-2 के स्तर से नीचे आयोग नहीं जाए.
ग्रैप-4 हटने के बाद अब दिल्ली में रजिस्टर्ड डीजल से चलने वाली मीडियम और भारी वाहनों (बीएस-IV या उससे नीचे) के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हट जाएगा. इसके साथ ही सड़कों, नेशनल हाइवे और फ्लाईओवरों सहित कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन जैसे काम भी शुरू हो जाएंगे.
क्या होता ग्रैप
दीपावली पर्व के बाद जिस स्तर पर दिल्ली के वायु प्रदूषण में इजाफा हुआ था, वो मामला बेहद चिंताजनक बन गया था क्योंकि वायु प्रदूषण का स्तर करीब 500 से भी ज्यादा बढ़ गया था. दिल्ली में वायु प्रदूषण को मापने वाले 39 निगरानी प्वॉइंट में से 33 निगरानी प्वॉइंट का आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला आया था. उसके बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई थी, जिसके बाद कोर्ट के द्वारा काफी महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए गए थे.
दिल्ली और उसके आसपास की हवा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए ग्रैप के चार चरण बनाए गए हैं. इसमें ग्रैप-1 उस वक्त लगाया जाता है, जब हवा की गुणवत्ता 201 से 300 यानी खराब स्थिति में पहुंच जाती है. ग्रैप-2 को तब लागू किया जाता है जब वायु गुणवत्ता 301 से 400 तक पहुंच जाती है. कोर्ट की पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ग्रैप-4 से जुड़ी पाबंदियों को पांच दिसंबर तक लगाने का निर्देश दिया था.
ग्रैप-4 के अंतर्गत क्या-क्या थे प्रतिबंधित और क्या था नियम?
* दिल्ली में डीजल से चलने वाले ट्रकों की एंट्री बंद कर दी गई थी, जिससे आम लोगों को एक तरफ आने-जाने में दिक्कतें हो रही थी, तो वहीं दूसरी तरफ प्रदूषण को रोकने के लिए इसके लिए कई कड़े नियमों को पालन करने का निर्देश दिया गया था.
* दिल्ली के बाहर के कमर्शियल वाहनों पर रोक लगाने का दिया गया था निर्देश. इसके चलते दिल्ली -एनसीआर में सैकड़ों चेकिंग प्वॉइंट बनाए गए थे. उन वाहनों को चेक करने के लिए दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को विशेष तौर पर निर्देश जारी किए गए थे, जिसके बाद उसका असर दिल्ली की ट्रैफिक व्यवस्था पर भी पड़ रहा था.
* दिल्ली के सारे स्कूलों में कक्षा 12 तक की पढ़ाई को ऑनलाइन मोड में करने का निर्देश जारी हुआ था.* निर्माण और तोड़फोड़ कार्यों पर कड़े प्रतिबंध लगाने का निर्देश हुआ था. इसके साथ ही सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में वर्क फ्रॉर्म होम मोड में चलाने का निर्देश दिया गया था. उस निर्देश के मुताबिक जिन कर्मचारियों और अधिकारियों से वर्क फ्रॉर्म होम मोड में काम लिया जा सकता है, उसे उसी मोड में काम करवाने का भी निर्देश जारी किया गया था. जिसे औपचारिक तौर पर अमल करने में काफी लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था.
पिछले एक महीने से शहर में लगातार वायु प्रदूषण का सामना करने के बाद दिल्ली की एयर क्वॉलिटी में अब सुधार हुआ और यह एक्यूआई 161 पर ‘मीडियम’ कैटेगरी में पहुंच गया. इससे पहले, शहर का 24 घंटे का एवरेट एक्यूआई बुधवार शाम 4 बजे 178 दर्ज किया गया था, जो मंगलवार को 268 था. इससे पहले 15 अक्टूबर को एक्यूआई 198 के साथ ‘मध्यम’ श्रेणी में दर्ज किया गया था.
पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से ठंडी हवाएं चलेंगी और दिनभर बादल छाए रहेंगे. इस बदलाव के कारण, अधिकतम और न्यूनतम तापमान में गिरावट का पूर्वानुमान है.
दिल्ली में होने लगा ठंड का अहसास
कई दिनों के बाद दिल्ली में आज ठंड महसूस हुई। अभी तक दोपहर में खिली तेज धूप पसीना निकाल रही थी। मौसम विभाग ने सुबह दिल्ली का न्यूनतम तापमान 8.5 डिग्री सेल्सियस रेकॉर्ड किया, जो कि सामान्य से 1 डिग्री कम है। पिछले 24 घंटे में मिनिमम टेंपरेचर 3.5 डिग्री सेल्सियस लुढ़का है। दिन में अधिकतम तापमान 27 डिग्री तक पहुंच सकता है। आसमान साफ होने से धूप भी अच्छी खिल रही है। रात में हल्का कुहासा देखने को मिल रहा है। आने वाले दिनों में हल्का-फुल्का कोहरा दिख सकता है। न्यूनतम तापमान में मामूली कमी आएगी।
पहाड़ों पर हो सकती है बारिश और बर्फबारी
स्काईमेट वेदर की माने तो 8 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों पर पश्चिमी विक्षोभ आ रहा है। 7 दिसंबर को राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के कुछ हिस्सों में सर्कुलेशन बन रहा है। कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों पर बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है। पंजाब और हरियाणा के मैदानी इलाकों में हल्की या छिटपुट बारिश हो सकती है, जो कि सर्दियों की पहली बारिश होगी।
ASG ने कहा कि अदालत को समग्र रूप से देखना चाहिए कि नवंबर दिसंबर के दौरान दिल्ली की हवा कैसी रहती है. दुर्भाग्य से हमारे मौसम विज्ञान विभाग यूरोपीय या फिनलैंड जैसी स्थितियों की अनुमति नहीं देता है. हमारी भौगोलिक स्थिति यूरोपीय देशों जैसी नहीं है. आबो हवा भी वैसी नहीं है. यानी दोनों की तुलना नहीं हो सकती.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार के साथ सीएक्यूएम को जीआरएपी-चार के प्रतिबंधों में ढील देने की अनुमति दी है. ग्रैप-4 के तहत दिल्ली में कर्मशियल ट्रकों के आने पर रोक लगा दी गई थी. डीज़ल से चलने वाले मध्यम और भारी वाहनों पर भी रोक लगाई गई है. लेकिन अब ग्रैप-4 हटने के बाद ये सभी रोक भी हट गई है.
इसके अलावा, ईंधन पर चलने वाली सभी इंडस्ट्रियों को बंद कर दिया गया है, और निर्माण करने और ढहाने पर भी रोक लगाई गई थी. सरकारी-निजी दफ़्तरों को 50 फीसदी स्टाफ को ही बुलाए जाने की सलाह दी गई थी. लेकिन अब ग्रैप-4 हटाने से ये सभी रोक हट जाएगी.
दिल्ली की हवा को खराब करने के लिए पराली जलाना या वाहन मुख्य कारण नहीं है, बल्कि थर्मल पावर प्लांट है। जो वातावरण में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। पावर प्लांट पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से 16 गुना अधिक वायु प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं। यही नहीं, एनसीआर में कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट सालाना 281 किलो टन सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ-2) उत्सर्जित करते हैं। फिनलैंड बेस्ड स्वतंत्र थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) ने इसका खुलासा अपनी एक रिपोर्ट में किया है। दरअसल, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने वायु प्रदूषण को लेकर मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है। इस रिपोर्ट में सीआरईए के एक अध्ययन का हवाला दिया गया है
कोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब
मामले की गंभीरता को समझते हुए अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने माना कि यह मामला वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 का उल्लंघन है। सुनवाई को दौरान एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीसीबी), हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसी), पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी), वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पीठ में न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी व विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल रहे।
प्रदूषण संकट को और गहरा रही मौसम की स्थिति
रिपोर्ट में सीआरईए के एक अध्ययन का हवाला देकर कहा गया कि एनसीआर के थर्मल प्लांट से प्रतिवर्ष 281 किलो टन सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ-2) उत्सर्जित होती है। वहीं, दूसरी ओर 8.9 मिलियन टन पराली जलाने से 17.8 किलोटन एसओ-2 पैदा होती है। इसके अलावा, दिल्ली में मौसम की स्थिति प्रदूषण संकट को और गहरा रही है। यही नहीं, रुकी हुई हवा और गिरते तापमान प्रदूषकों को फैलने नहीं दे रहे। इससे हवा में धूल, धुआं और अन्य हानिकारक कण फंस गए हैं। इन स्थितियों को अक्सर ठंडी हवा के जाल के रूप में जाना जाता है। इससे पराली के धुएं जैसे प्रदूषक दिल्ली और आसपास के इलाकों में बने रहते हैं, जो हवा की गुणवत्ता को जहरीला बना रहा है।