खनन पट्टाधारकों को ब्लैकमेल कर रहे हैं किसान के वेश में माफिया
शिवम सिंह
बांदा। उत्तर प्रदेश का बदहाल माना जाने वाला बुंदेलखंड का बांदा इस दिनों फिर सुर्खियों में दिखने लगा है वजह है यहां की मौरम खदानें। बरसात खत्म होते ही मोरम खदानें खुलने का आदेश जारी हुआ और यही से मोरम खदान के लाल सोने की लूट करने वाला सिंडिकेट सक्रिय हो गया है बांदा की मौरम खदानों के रास्तों पर किसानों के वेश में इन भूमाफियाओं और ब्लैकमेलरों ने कब्जा शुरू कर दिया है और खनन व्यवसाईयों को ब्लैकमेल किया जा रहा है। आए दिन खनन व्यवसाययों को धमकी देना, खदान तक जाने ना देना और व्यापारियों के ट्रकों को रोककर उसमें तोड़फोड़ इन ब्लैकमेलर तथा कथित किसानों का मुख्य व्यवसाय बनता जा रहा है। खनन व्यापारी एक तरफ जहां सरकार को भारी भरकम राजस्व दे रहे हैं तो वहीं इन छूटभैया अपराधी किस्म के आतंक से निपटने के लिए उनके पास कोई रास्ता नहीं है सिवाए इसके कि उनकी धन उगाही की मांग को स्वीकार करें तभी अपना व्यापार कर सकते हैं।जी हां साहब, यही असलियत है बांदा के खनन को लेकर बनने वाली सुर्खियों की। बांदा में हर साल जैसे ही खनन का काम शुरू होता है अपराधी किस्म के छुट भैया किसानों की शक्ल अख्तियार करके हर खदानों में बवाल करने पहुंच जाते हैं और खदान को न चलने देने और रास्ता बंद करने की धमकियां देने का दौर शुरू हो जाता है और इसके साथ ही पट्टाधारकों से लंबी रकम की मांग की जाती है। इसी कड़ी में इस वर्ष भी इन तथाकथित किसानरुपी गुंडो का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है। जसपुरा थाना क्षेत्र में मड़ौली खदान हो या जिले में अन्य खदानें सभी खनन व्यवसायी इन ब्लैकमेलर रंगदारों से जूझ रहे हैं। जिला प्रशासन भी ऐसे तत्वों से सख्ती से निपटने के बजाय खनन पट्टाधारकों और उनके बीच समझौता करने में ही तत्पर दिखाई देता है हालांकि यह सारी खदानें पूरी तरह से वैध और सरकार को भारी भरकम राजस्व दे रही हैं बावजूद इसके इन खदानों के पट्टा धारकों की और खदानों की और उनमें आने वाले ट्रकों की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया जाता है। सूत्र बताते हैं कि हर क्षेत्र में छुटभैया नेताओं और अपराधियों का एक पूरा सिंडिकेट मौजूद है जो खदानों के रास्तों पर अवैध कब्जा करके खदानों के संचालन में रुकावट खड़ी करता है और उसके बाद पट्टा धारकों को मजबूर किया जाता है कि उनकी मांग और उनकी रंगदारी को स्वीकार करें और खदानों में लंबी चौड़ी रकम फांसे पट्टा धारक आखिरकार इन तत्वों के सामने नतमस्तक होकर उन्हें लंबी रकम देकर व्यवसाय करने पर मजबूर होते हैं। जिला प्रशासन हालांकि खनन पट्टा धारकों के साथ हुई मीटिंग में हर तरह की सुरक्षा मुहैया कराने का दावा करता है लेकिन जमीनी हकीकत ठीक इसके उलट नजर आती है। अब देखना होगा कि ब्लैक मेलरों और रंगदारों के खिलाफ सीएम योगी आदित्यनाथ की मुहिम का लाभ इन मौरंग खनन व्यवसाय व्यापारियों को मिलता है या हर साल की तरह इनका यूं ही शोषण होता रहेगा।