23 सितंबर 2024 को रोजगार अधिकार अभियान की वर्चुअल मीटिंग में हुई बातचीत का सारांश :-
विजय कुमार यादव
रोजगार अधिकार अभियान की वर्चुअल मीटिंग में उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली, झारखंड आदि राज्यों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। यूनिवर्सिटी कालेज व शहरी क्षेत्रों के अलावा बड़ी संख्या में कस्बा व ग्रामीण क्षेत्रों के युवा प्रतिनिधियों ने बैठक में हिस्सा लिया। रोजगार अधिकार अभियान को विस्तार देने और इसे गहरा करने को लेकर अच्छी बातचीत हुई। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, लखनऊ, वाराणसी, सोनभद्र, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, चंदौली के अलावा दिल्ली एवं अन्य कुछेक राज्यों में अभी तक चले रोजगार अधिकार अभियान की साथियों ने रिपोर्टिंग रखी। नोट किया गया कि हमारे अभियान के मुद्दे यानी *”बड़े पूंजी घरानों व उच्च धनिकों की संपत्ति पर समुचित टैक्स लगाओ, शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार की गारंटी करो, सरकारी विभागों में खाली पदों को तत्काल भरो और हर व्यक्ति की सम्मानजनक जिंदगी की गारंटी करो”* को लेकर युवाओं के साथ ही नागरिकों का भी अच्छा समर्थन मिल रहा है। लाखों लोगों तक हमारा मुद्दा पहुंचा है और बड़ी संख्या में छात्रों, युवाओं व नागरिकों से जनसंपर्क व संवाद किया गया है। साथियों का विचार था कि इन मुद्दों को लेकर बड़ी संभावना निहित है। लेकिन अभी हमारा अभियान कुछेक राज्यों तक सीमित है। इसे कैसे देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाया जाए, इस पर महत्वपूर्ण सुझाव आए। सुपर रिच पर टैक्स लगाओ मुहिम चला रहे टीम के दिल्ली के साथी ने बताया कि राजस्थान, गुजरात आदि राज्यों में भी उनकी टीम ने दौरा किया है। वहां से भी इस मुहिम में युवा शामिल होंगे। साथियों का सुझाव आया कि दिल्ली में मध्य नवंबर तक रोजगार अधिकार अभियान की बैठक आयोजित की जाए। जिससे राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार अधिकार अभियान का विस्तार किया जा सके और देश के पैमाने पर युवाओं व नागरिकों से इन मुद्दों पर बड़ा संवाद स्थापित किया जा सके। जोकि युवाओं व नागरिकों के इन ज्वलंत मुद्दों को हल कराने और राष्ट्रीय विमर्श में लाने के लिए बेहद जरूरी है। मीटिंग में शामिल दिल्ली प्राद्योगिकी विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने यह प्रश्न उठाया कि रोजगार एवं अन्य मुद्दों को हल करने के लिए वित्तीय घाटा बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी। जिस तरह वैश्विक कारपोरेट पूंजी का दबाव है उसे देखते हुए किसी सरकार के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं दिखता। इस संबंध में हम लोगों ने पहले से ही स्पष्ट किया है कि इन मुद्दों को हल करने के लिए वित्तीय घाटे का सवाल कहीं आड़े नहीं आता। केंद्र सरकार के बजट में अतिरिक्त संसाधन सुपर रिच पर टैक्स लगाने से जुटाया जायेगा। यह कहीं से भी उनके ऊपर बोझ नहीं होगा। यह अतिरिक्त धनराशि जो 15-20 लाख करोड़ रुपए के करीब होने का अर्थशास्त्रियों का आकलन है, इससे इन मुद्दों को हल किया जा सकता है इसमें सामाजिक सुरक्षा का सवाल भी शामिल है। इससे कल्याणकारी मदों में सरकारी खर्च की बढ़ी धनराशि से प्राप्त मुनाफा सुपर रिच पर लगाए गए टैक्स की भरपाई कर देगा। यह तेजी से बढ़ रही असमानता को दूर करने में भी मददगार साबित होगा।