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राजेश के दोहे विषय पर्यावरण

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श्री गणेशाय नमः👏🌹

राजेश के दोहे
विषय पर्यावरण

 

गर्मी बढ़ती जा रही, दिन प्रति जग में मीत।
बड़ी लड़ाई सामने, पेड़ लगाकर जीत।।

ताप इसी क्रम यदि बढ़ा, तो अब सुनिए आप।
गाँव शहर जलमग्न हों,बढ़े सिंधु परिमाप।।

पशु पक्षी सब मर रहे, नीर दिखे नहिं पास।
छोटे बाँध बनाइए, मिटे जीव की प्यास।।

मानव मरते काल भी, जले काठ के साथ।
पूरा कर्ज़ा हो तभी, लगे वृक्ष निज हाथ।।

ध्वनि की बढ़ती तीव्रता, मन को करती खिन्न।
तन को भी जर्जर करे, लगते रोग विभिन्न।।

संरक्षण जल वायु का, करिए हरदम आप।
मिट्टी को भी रोकिए, नहीं लगेगा पाप।।

ब्रह्मा जी की सृष्टि में, सभी जीव अनमोल ।
हिंसा सबकी बंद हो, सुनो कान तुम खोल।।

चंदन मिट्टी देश की, तिलक लगाकर घूम।
पग रखने से पूर्व तू, उठते इसको चूम।।

पत्थर दिल इंसान के, मन में रहे न पीर।
करते कर्कश काम भी, चक्षु बहे नहिं नीर।।

वृक्ष लगाओ खूब तुम, देंगे तुमको छाँव।
प्राण वायु पूरी मिले, नहीं जलेंगे पाँव।।

नीर धरा भगवान है, नहीं बहे यह व्यर्थ।
सृष्टि नहीं इसके बिना, हो चहुँओर अनर्थ।।

अपने जीवन में सभी,लेना यह संकल्प।
पेड़ लगाएंगे धरा,समय बचा अब अल्प।।

पेड़ों से कुर्सी बने,और मिले फल फूल।
प्राण वायु मिलती हमें, नहीं काटिए भूल।।

जड़ में ही जल डालिए, डाली बढ़ती जाय।
छाया राही को मिले, पक्षी भी फल खाय।।

बीज छांटकर बोइए, बढ़िया फल अरु फूल।
मजबूती हो वृक्ष में, उसमें झूला झूल।।

राजेश कुमार तिवारी रामू

राजेश कुमार तिवारी रामू
मैहर सतना मध्यप्रदेश

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