भावनाओं से सराबोर हुआ रामलीला मंचन : श्रवण कुमार की मातृ-पितृ सेवा ने छुआ दर्शकों का हृदय

शक्तिफार्म।
भारत माता पार्क में चल रहे आदर्श श्रीरामलीला मंचन का दूसरा दिन भावनाओं का अनोखा संगम बनकर सामने आया। मंच पर प्रस्तुत श्रवण कुमार की मातृ-पितृ भक्ति और उनके दुखांत प्रसंग ने न केवल दर्शकों को स्तब्ध किया, बल्कि उनकी आंखें भी नम कर दीं।
कार्यक्रम का शुभारम्भ नगर पंचायत शक्तिगढ़ शक्तिफार्म के चेयरमैन सुमित मण्डल, समाजसेवी एवं तारक नाथ धाम मंदिर कमेटी अध्यक्ष देवाशीष पोद्दार, गोविंद पोखरिया तथा रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इसके उपरान्त गणेश वंदना के साथ मंचन की शुरुआत हुई। मुख्य अतिथि चेयरमैन सुमित मण्डल ने दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि
“रामायण केवल कथा नहीं, बल्कि जीवन जीने की प्रेरणा है। श्रवण कुमार का प्रसंग हमें यह सिखाता है कि माता-पिता की सेवा सर्वोच्च धर्म है। वहीं श्रीराम के आदर्श जीवन में सत्य, धर्म और कर्तव्य के मार्ग पर चलने का संकल्प देते हैं।”
मंच पर शिक्षक पंकज राय ने श्रवण कुमार की भूमिका निभाते हुए चरित्र को सजीव कर दिया। कथा के अनुसार, श्रवण कुमार अपने नेत्रहीन माता-पिता को कांवर में बैठाकर तीर्थयात्रा पर निकलते हैं। अयोध्या पहुंचने पर जब वे सरयू तट से जल लेने जाते हैं, तभी शिकार समझकर राजा दशरथ उनके हृदय में बाण भेद देते हैं।
मृत्युपूर्व क्षणों में श्रवण कुमार अपने अंधे माता-पिता की प्यास बुझाने की व्यथा बताते हुए प्राण त्याग देते हैं। सत्य जानकर राजा दशरथ अपराधबोध से व्याकुल हो उठते हैं। श्रवण के माता-पिता पुत्र वियोग में उन्हें श्राप देकर संसार से विदा ले लेते हैं।
सेवानिवृत्त शिक्षक पंकज राय का अभिनय दर्शकों के हृदय में उतर गया। शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद, संगीत और समाजसेवा से जुड़े होने के कारण वे पहले ही क्षेत्र में लोकप्रिय हैं, लेकिन मंच पर उनका श्रवण कुमार बनना दर्शकों के लिए अविस्मरणीय अनुभव रहा।
इस मौके पर रमन जायसवाल, रविन्द्र अग्रवाल, राजकुमार डालमिया, राघव सिंह, मयंक अग्रवाल सहित सैकड़ों रामभक्त मौजूद रहे। लीला के दौरान जय श्रीराम के गगनभेदी उद्घोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।



















Leave a Reply