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आबू पर्वत का अनोखा गणेश मंदिर! जहां होती है गोबर से बनी प्रतिमा की पूजा, जुड़ी है मुख्य मान्यता.

आबू पर्वत का अनोखा गणेश मंदिर! जहां होती है गोबर से बनी प्रतिमा की पूजा, जुड़ी है मुख्य मान्यता..

संवाददाता:-
हर्षल रावल सिरोही/राज.


सिरोही। देशभर में गणेश चतुर्थी पर घरों में कई प्रकार के गणेश प्रतिमाएं विराजमान कर पूजा-अर्चना की जाती है। वैसे तो मंदिरों में अधिकांश अलग-अलग प्रकार के पत्थरों की मूर्ति की पूजा होती है, लेकिन राजस्थान के प्रसिद्ध हिल स्टेशन आबू पर्वत में एक गणेश मंदिर ऐसा भी है। जहां भगवान गणेश की गोबर स्वरूप की पूजा की जाती है। हम बात कर रहे हैं आबू पर्वत के हनीमून पॉइंट स्थित सिद्धि विनायक गणेश मंदिर की। यहां एक पहाड़ी पर बने इस प्राचीन मंदिर में भगवान गणेश की गोबर से बनी प्रतिमा पूजा होती है।
सिरोही जिले के आबू पर्वत में स्थित सिद्धि विनायक गणेश मंदिर देशभर में अपनी अनोखी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान गणेश की गोबर से बनी प्रतिमा की पूजा होती है, जिसे श्रद्धालु “गोबर गणेश” कहते हैं। मंदिर का जीर्णोद्धार 1994 में महंत नरसिंह दास जी के नेतृत्व में हुआ था। “गणेश चतुर्थी” पर यहां देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर धार्मिक आस्था, पुराणों की मान्यता और सांस्कृतिक परंपरा का अनूठा संगम है।
श्रीगणेश मंदिर सेवा ट्रस्ट माउंट आबू के सचिव त्रिलोक जानी के अनुसार वर्ष 1994 में महंत नरसिंह दासजी के सानिध्य में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था। जीणोद्धार से पूर्व गोबर से बनी प्रतिमा पर विधिवत घी के साथ सिंदूर मिलाकर पूजा-अर्चना की जाती थी। इसके पश्चात प्रतिमा पर लगाया गया सिंदूर अभी तक नहीं उतरा है। मंदिर में गणेश जी पर चढ़ा चांदी का वर्क मुख्य रूप जयपुर से मंगवाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर यहां देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। राजस्थान के अतिरिक्त महाराष्ट्र और गुजरात से भी पर्यटक यहां दर्शन करने आते हैं‌।


आबू पर्वत रोडवेज बस स्टैंड से लगभग 3 किलोमीटर दूर गणेश प्वाइंट पर भगवान गणेश का यह प्राचीन मंदिर है। मान्यता है कि भगवान शिव-पार्वती ने देवी-देवताओं के समक्ष गोबर से गणेश का निर्माण किया। इसे गौरी शिखर के नाम से भी जाना जाता है।
गणेश मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष तिलोक जानी के अनुसार स्कंद पुराण एवं अर्बुद खंड में भगवान गणेश का जन्म आबू पर्वत के गणेश प्वाइंट पर बताया गया है। गुरु शिखर पर भगवान दत्तात्रेय भी अपनी तपस्या करते थे। इसलिए आबू पर्वत को शिव की उपनगरी कहा जाता है। यहां प्रत्येक वर्ष गणेश उत्सव 5 से 10 दिन तक मनाया जाता है। गणेश पॉइंट पर स्थापना अनंत चौदस तक रहती है। इस दौरान पांडालों की सजावट और पूजा की भव्यता देखने लायक होती है। ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी से अनंत चौदस तक यहां दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है।


गोबर गणेश मंदिर के नाम से है पहचान:-
यहां मंदिर में विराजमान प्रतिमा एकमात्र ऐसी प्रतिमा है, जो गोबर गणेश स्वरूप में है। इस कारण से इस मंदिर को गोबर गणेश मंदिर के नाम से भी पहचाना जाता है। मान्यता है कि प्राचीन काल में यहां हवन हुआ करते थे और उन्हें हवन में गोबर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। तब से यहां गोबर गणेश स्वरूप में भगवान की पूजा होती है।

गौरी शिखर पर्वत पर हुआ था भगवान गणेश का जन्म:-
स्कन्द पुराण के अर्बुद खंड के अनुसार, गौरी शिखर पर्वत अर्थात अर्बुद पर्वत पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। माउंट आबू को प्राचीन नाम अर्बुदारण्य/अर्बदाचल के नाम से जाना जाता है। माता पार्वती ने भगवान शिव से जब पुत्र प्राप्ति का वर मांगा था, तब भगवान शिव ने पार्वती को पुण्यंक नाम का व्रत करने के लिए कहा था। भगवान गणेश के जन्म के समय ३३ कोटि देवी-देवताओं के साथ भगवान शंकर ने अर्बुदारण्य की परिक्रमा की थी।

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